जो आपको पहँचानने से भय खायें । जो आपको देखकर मुहँ फेर अलग कहीं मुस्कुरायें ।
जो आपकी कमियों (रुप-रंग, उम्र ,योग्यता ) से शर्मिंदगी का अनुभव बतायें । फिर भी खुद को आपसे स्नेहिल रिश्ता बतायें । सामने आने पर वहाँ से भाग जायें । इतना करके भी आपसे संबन्ध आत्मा का बतायें छुपे आपसे , आपको छुपायें ।ऐसे आत्मीयों को भूलना बेहतर ।
-Ruchi Dixit