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Ruchi Dixit

Ruchi Dixit Matrubharti Verified

@ruchidixit324gmail.com8469
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स्वयं की मौजूदगी का अर्थहीन होना
धीर-ेधीरे वहाँ से स्वयं को पृथक करने के लिए पर्याप्त है।।
- Ruchi Dixit

व्यक्ति के पास सदैव दो विकल्प होते हैं
समस्या से समाधान की ओर या समस्या से समस्या की ओर,,,,
- Ruchi Dixit

जब तक भीतर प्रकाश नहीं पहुंचता और अंधेरे से मुलाकात नहीं होती तब तक न जीवन है न तयशुदा।।
- Ruchi Dixit

समय हम केवल उसे देते हैं
जो हमारे लिए महत्वपूर्ण है
व्यक्ति
विषय
बात
- Ruchi Dixit

शिकायतें स्वयं ही खत्म हो
जाती है जहाँ
आपका होना या न होना
बराबर समझ आने लगे।।
- Ruchi Dixit

मै मन से कह रही हूँ!
मै भावना से कह रही हूँ!
मै विचार कर कह रही हूँ !
मै लिख कर कह रही हूँ !
“मैने सदैव अपना अहित सोचा है
मुझे सोचना नहीं आता इसलिए
तु सोचना मेरे लिए माँ तु जो सोचना वही करना 🕉🙏✡️❤🙌✡️

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सम्मान
स्नेह
प्रेम
यह आधार बिन्दु पर टिके होते हैं
ऊपरी हिस्सा चाहे जितना ही ऊँचाई ग्रहण कर ले आधार के हटते ही इनका धराशायी हो जाना स्वभाविक, नियमबद्ध है।।
- Ruchi Dixit

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है बचपन बचा कहाँ
लेकर जाऊँ??
तु चाहता है कि मैं बड़ी हो जाऊँ??
बचपन में बचपन दबाया गया जो
बड़े होके आजाद होने को हैं जो
तु चाहता है कि फिर से कैद कर आऊँ?
बचा जो है बचपन कहाँ लेकर जाऊँ??
समझ सब ही चाहें समझ की घड़ी है
मासूमियत भला किसको पड़ी है
है जीवन यही क्या नीरस बिताये,,
बचा जो है बचपन कहाँ छोड़ आयें??

- Ruchi Dixit

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समस्या के स्तर को समझना जरूरी है।
वास्तव में समस्याये इतनी बड़ी भी नहीं होती जितना हम उन्हें निरंतर सोचकर बल देकर करने लगते हैं।।
- Ruchi Dixit

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झूठ की कलछी से
काले पतीले से
सच को निकालते हुए
न्याय की दाल जलकर आधी से समाप्त हो जाती है। यहीं सुधार का पहिया क्षतिग्रस्त, रूका हुआ है।
- Ruchi Dixit

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