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वजहे बढ़ा रखी है माँग भला कैसे पूरी होगी तेरी खुश रहने की । - Ruchi Dixit
खुद को सुधारने के प्रयास क्रम मे हमारा पहला चरण वास्तविकता को स्वीकार कर इच्छा, अपेक्षा, उम्मीद पर कार्य करना होता है। - Ruchi Dixit
बीत गया जीवन सारा हाथ न आया लेकिन कुछ रही उदासी वही शून्यवत शोर मचाया बहुत मगर,,, - Ruchi Dixit
मैने क्या लिखा तुमने वही पढा? या खुद को मन मुताबिक गढ़ा औरों की तो बात सही है तुमसे तो परदा नहीं है? ~अंश~
मै ऐसी हूँ! मैं कहाँ कहती हूँ! मै ऐसी रहुँगी यह कहाँ जानती हूँ! मगर जो भी है उसमें वो है! जो रहेगा उसमे वो रहेगा! यह मै अहसास में जन्मे विचार के हक हक से कह रही हूँ ।। - Ruchi Dixit
विश्वास दो समानांतर पहियों पर चलने वाला वाहन है।। - Ruchi Dixit
विश्वास कोई वृक्ष या पौधा नही। यह वह बीज है जो जमीन में निरंतर अनुकूलता पाकर पौध से वृक्ष मे परिवर्तित होता है। और तब ही आँधियों की परिक्षण में शामिल - सफल होता ।। - Ruchi Dixit
तु शब्दों के मध्य में भी है और वहाँ भी जहाँ मंत्र नही जाप नही शब्द नहीं। - Ruchi Dixit
खुद में कमियाँ देखती रही खुद से शिकायत रही, शायद !!! मेरी, मुझमें यही कमी रही।~ अन्तर विवाद - Ruchi Dixit
बचपन के उस छोटे से हिस्से को यदि हटा दिया जाये तो संकोच के बादल ने इच्छाओं को ढक कर रखा सदा , फिर वो हक की जमीन न मिली न बूँदे पड़ी न बादल बरसे कभी ।। ---नन्ही खवाहिशे - Ruchi Dixit
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