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सवाल जब खुद ही जवाब बनने लगे तो अपेक्षा ,उम्मीद दामन छोड़ देते हैं।। - Ruchi Dixit
अनगिनत बार लिख कर मिटाये शब्द उँगलियो ने भावना से बनी ही नहीं,,, - Ruchi Dixit
मरूँगी नहीं! मिटूँगी नही जाने क्यों इतना पता है बात केवल इतनी सी देख पाऊँगी क्या मुझमे, मुझसे जो जुदा।। - Ruchi Dixit
सूरत मूरत केवल पता है मेरे भीतर वो है जो तेरे भीतर बसा है। सब बाहर से भीतर जाते हैं मुझे भीतर से बाहर की ओर निकलना है। - Ruchi Dixit
शिकायत जब शिकायतो की वजह बने तो शिकायत शिकायत होकर भ शिकायत नही रह जाती।। - Ruchi Dixit
बेवक्त बेतरतीब दवाओ से इलाज भला कहाँ होता है।। - Ruchi Dixit
तेरे जज्बात में भीड़ बहुत है मुझे मेरी अनुपस्थिति नजर आती है अब।। - Ruchi Dixit
संख्या अधिक हो सकती है धन, संपत्ति ऐश्वर्य से ज्ञान और गुण की तुलना करने वालो की मगर सौ मे से यदि एक भी है जो इसे अतुलनीय देखता है, पर्याप्त है। - Ruchi Dixit
प्रेम का प्रमाण खुद मे खुद को समझाने के लिए आवश्यक है। यही आधार है अन्तस का , यही आधार है प्रेम मे सम्पूर्ण गर्व को प्रतिष्ठित करने का, यही आधार है विस्तार से शून्यता मे प्रवेश का। पूर्ण समर्पण और परिपक्वता के लिए आधार आवश्यक है और प्रमाण ही आधार है। - Ruchi Dixit
ज्ञान यान, भक्तियान,भावयान। अंधेरे की लाठी सहारा तुम्हारा है ज्ञान वो तो अन्धेरे , अज्ञानता में भी है । हर राह उस तक पहुँचती है यह खुद को तय करना होता है कि पहुँचना वहीं है।। - Ruchi Dixit
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