पतझड़ को कहो वो ना आए ।
पतझड़ को कहो वो ना आए,
अपने साथ सावन को ना लाए।
पतझड़ को कहो वो ना आए,
ये फूल पत्तियां सब खुश हैं यहां,
उसको अपनो से दूर ना ले जाए,
पतझड़ को कहो वो ना आए ।
इतनी तेज हवा भी अब बर्बाद इन्हें कर देती है,
जो उपवन माली ने सजाया है उसको निर्जन कर देती है।
पतझड़ को कहो वो ना आए,
अपने साथ सावन को ना लाए।
जहां हरी भरी हरियाली सी है,
उसको निर्जन कर फायदा ही क्या?
पतझड़ तो नया सब कर देता है
पर उन पुराने पौधों का क्या?
पतझड़ को कहो वो ना आए,
अपने साथ सावन को ना लाए।
डाली डाली जहां चहकती नन्ही नन्ही सी चिड़िया है,
जहां से कोयल छुप छुप कर कु कु करती हर पल है।
सावन की इसी रंगीन छटा के सभी दीवाने है,
पर उन नन्हे पौधों के सपने कहां सुहाने है।
पतझड़ को कहो वो ना आए,
अपने साथ सावन को ना लाए।
जो भी आए बाग में तो,
फूलों को तोड़े जाता हैं,
वह कुछ भी नहीं कर सकता
क्यूंकि बेजुबान दुर्बल सा है।
पतझड़ को कहो वो ना आए,
अपने साथ सावन को ना लाए।
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