fanatical Quotes in Hindi, Gujarati, Marathi and English | Matrubharti

fanatical Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful fanatical quote can lift spirits and rekindle determination. fanatical Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.

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You have to be fanatical to achieve your dreams!

#Fanatical

#Fanatical ધર્માંધ. યદા યદા હિ ધર્મસ્ય ગ્લાનીઃભવતિ ભારત. અભ્યુતથાનમ ધર્મસ્ય તદાત્ત્માનં સૃજામ્યહમ્ પરિત્રાણાય સાધૂનાં વિનાશાય ચ દુષ્કૃતામ્ ધર્મસંસ્થાપનાર્થાય સંભવામિ યુગે યુગે. જયારે જયારે સત્ય અને ધર્મની હાનિ અને અધર્મની વૃદ્ધિ થાય છે, ત્યારે ત્યારે હું પોતાના રૂપને સરજુ છું એટલે જ સાકાર રૂપે લોકાે સમક્ષ પ્રગટ થાઉં છું. સાધુપુરુષોનાે ઉદ્ધાર કરવા માટે, પાપ કર્મરકનારાઓનાે વિનાશ કરવા માટે અને ધર્મની સમ્યક્ રીતે સ્થાપના કરવા માટે હું યુગે યુગે પ્રગટ થાઉં છું. સત્ય અને ધર્મનું હમેશાં આચરણ કરવું જોઈએ.

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https://youtu.be/kQEWfB113l8
#Fanatical

#Fanatical may always critical...!!!!


My Wine-Power Poem...!!!

यारों आज हमने पिया हो थोड़ा

लगता है कि आज ज़िया थोड़ा

ख़्वाबों में ही बसे रहे आज़ तक

हक़ीक़तका आग़ाज़ हुआ थोड़ा

बंध आँख भागते रहे आज तक

खुली ऑंख का चखा मज़ा थोड़ा

टंगी थी यह जीदगीं ख़्वाहिशों की

ख़िज़ाँ पे,मौजूद जिस्म हुआ थोड़ा

ज़हन गिरफ़्तोंका शिकार था,दिल

पुर-सुकून-सा पी कर हुआ थोड़ा

पीने को तो हम पी आए उम्मीदोंका

सागर,हाँ बूँद नूरकी सुकुँ दी थोड़ा

जिस्मों से तो हम ला-महदूद पीए

आज जी-भर के रुँह से पीए थोड़ा

पी पी कर बरबाद हूएँ साक़ी कितने

ख़ामोश-बोतल में गरक़ हूएँ कितने

प्रभु-इश्क़की बूँद में सुकूँ मिला थोड़ा


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#Fanatical sub always sound financially..!!


My New Feelingly Poem ...!!!

दुल्हन सी सजी थी, वह गहनों से लदी थी
लोगों की हलचल में, एकांत सी खड़ी थी

हल्की-सी मुस्कान चेहरे पर ऐसी खिली
मानों घबराहट की बूंद उसे कहीं न मिली

चौ-तरफ खुशहाली थी,उसके मनमें भी
नवजीवन की हरियाली थी फिर भी थी

थी हल्की सी हिचकिचाहट भी तो कहीं
नवजीवन कैसा होगा..? यह खबर न थी

घर ख़ूने में व्याकुल सी बैठी वह थी ऐसे
परिणाम-प्रतिक्षामें हो छात्र-प्रतिमा जैसे

मासूम मन में उसके थे प्रश्न तो अनेक,
उत्तर ना मिलते उसको कहीं से भी एक

अगले पलमें जाना था उसको,कुटुम्ब में
ऐसे जहां वह जानती तक थी न किसी को

यह एक ख्याल सताता रहा उसे तब तक
डोलीमें बैठनेका वक्त न आया जब तक

बेख़ुदी में न चाहकर भी हुआ कुछ ऐसा
मोती-से आंसुओ से भर गया उसका गला

इसके आगे वह कुछ भी कह न सकी,
भीगी पलकों से ही बस विदा हो चली

जहाँ संग सखियों के खेलीं थीं होली
जिस आँगन में खेलीं आँख-मिचौली

पली पढ़ी बड़ी हूई बाबुल छत्र-छाया में
उस दहलीज़को अलविदा कर चली डोली



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Self help series #30

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Many fanatics want to separate man from man in the name of religion, but it is our duty to uphold our own religion of humanity.

- Parmar Rohini " Raahi "

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