मोबाइल चासीसा
***********
-:दोहा:-
जय मोबाइल मातु की, महिमा बड़ी महान।
तन, मन, धन से कीजिए, सेवा ही पहचान।।
-: चौपाई :-
जय जय जय मोबाइल माता।
आप जगत की भाग्य विधाता ।।१
जिसने महिमा आप की जानी।
आज वही कहलाता ज्ञानी।।२
आप हमारा ज्ञान बढ़ाती।
जीवन साथी भाव जगाती॥३
तुम बिन जीवन सूना लगता।
नयन शून्य में तकता रहता।।४
लेखन हमसे आप कराती।
दूर देश उसको ले जाती।।५
नई - नई खबरें हो लाती।
दुनिया की बनकर तुम थाती।।६
खबर और पुस्तकें पढ़ाती।
गूगल बाबा से मिलवाती।।७
कथा कीर्तन हमें सुनाती।
फिल्मी गाने भी हो गाती।।८
तरकश में बहु तीर तुम्हारे।
घर बाहर संसार सहारे।।९
सुख- दुख भी तुम ही देती हो।
समय खूब सबका लेती हो।।१०
रिश्तों में तुम खाई बनती।
कच्ची -पक्की पूड़ी छनती।।११
घर सूने वीराने लगते।
माया तेरी सबको ठगते।।१२
ध्यान तुम्हारा बीबी रखती।
जो भी वो दे खानी पड़ती ।।१३
नव पीढ़ी है बड़ी दीवानी।
लगता उसकी तुम हो नानी।।१४
अपराधी भी इज़्ज़त देते।
मगर समय पर जो ना चेते।।१५
तुम ही उनकी दुश्मन बनती।
जब तुम दोनों में है ठनती।।१६
नव रिश्तों को जोड़ रही हो।
मनचाहा तब तोड़ रही हो।।१७
आनलाइनी माया रानी।
थक जाता जग सुनो कहानी।।१८
खत्म बैटरी जब हो जाती।
बड़े -बड़ों की नींद उड़ाती।।१९
डेटा जैसे तुम पी जाती।
बीपी बेकाबू हो जाती।।२०
निद्रा की दुश्मन हो पूरी।
नाहक इतना तनी अधूरी।।२१
दिल दिमाग में बसी हुई हो,
नियम धर्म पर कसी हुई हो।।२२
उनको रोगी आप बनाती।
अस्पताल में आप सुलाती।।२३
रहती उनको खूब चिढ़ाती।
देकर लालच हो भरमाती।।२४
नशा सदृश तुम रहती छाई।
लगता है अब तुम बौराई।।२५
भीख सरीखा मांगूँ डाटा।
पड़े गूंथना मुझको आटा।।२६
ध्यान पढ़ाई में कम लगता।
बार-बार तुमको ही तकता।।२७
जाने जगत तुम्हारी माया।
सूनी रहती तुम बिन काया।।२८
लेन देन की तुम हो रानी।
रूठ गई तो खत्म कहानी।।२९
भूल चूक थोड़ी जब होती
पीड़ा तब झंझट बन रोती।।३०
बिना तुम्हारे काम न चलता।
जीवन अब ये दुश्मन लगता।।३१
चिट्ठी पत्री लील गई तुम।
घूम घूम कर हिला रही दुम।।३२
जितना जीवन रंग सजाया।
बड़ा जाल लगता फैलाया।।३३
जितना भी तू काम है आती।
उतना ही हो हमें रुलाती।।३४
जब मन आता धोखा देती।
कर देती तू जीवन रेती।।३५
माना हो तुम बहु हितकारी।
पर तुम कल की हो बीमारी।।३६
आज भले हम समझ न पाएं।
रहती हो तुम दाएं-बाएं।।३७
हम मानव हैं मानो माता।
हमीं तुम्हारे भाग्य विधाता।।३८
सूझ बूझ से जीवन जीना।
वरना जहर पड़ेगा पीना।।३९
माना हम हैं भोले-भाले।
उससे ज्यादा दिल के काले।।४०
-: दोहा :-
प्रेम भाव से हम करें, मोबाइल गुणगान।
इसका मतलब यह नहीं, तू हो गई महान।।
।।•इति मोबाइला चालीसा संपूर्णम्•।।
सुधीर श्रीवास्तव