Hindi Quote in Poem by Sudhir Srivastava

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यमराज का श्राप
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कल अचानक फोन कर
मेरा यार यमराज मुझसे कहने लगा -
प्रभु आपका समाज कहाँ जा रहा है?
आधुनिकता की ओट में,
सभ्यता, संस्कार, मर्यादा, संवेदना से विहीन हो रहा है।
बड़ा सवाल है कि धरा के सबसे बुद्धिमान प्राणियों की
आँखों का पानी सूखता क्यों जा रहा है?
क्या उन्हें अपने सामने विनाश का दलदल भी
बिल्कुल ही नहीं दिख रहा है?
या उन्हें अपना भविष्य बड़ा सुरक्षित लग रहा है?
मैंने उससे पूछा - तू ऐसा क्यों बोल रहा है?
और तुझे ऐसा भला लग ही क्यों रहा है?
यमराज भड़क गया - मुझे पता था प्रभु!
आपको भी मिर्ची लग जायेगी,
क्योंकि सच बात आपको भी बिलकुल नहीं सुहाएगी।
पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता,
मिर्ची लगे या बम फूटे, जो दिखता है, वही कह रहा हूँ
बुजुर्गो की उपेक्षा, अपमान से मैं भी हैरान हूँ
आप मेरे यार हो, इसलिए बता रहा हूँ,
जो अपने माँ-बाप, बुजुर्गों का अपमान कर रहे हैं,
उनके दिल को छलनी कर रहे हैं
उन्हें जीते जी मौत के मुँह में ढकेल रहे हैं,
उन सबको थोक भाव में आज मैं श्राप देता हूँ,
उनका भी बुढ़ापा खराब हो, दिन रात कामना करता हूँ,
बुजुर्गों के अपमान का बदला लेने का
यमलोक में अलग से इंतजाम करता हूँ,
आपको भी सावधान करता हूँ
और अब फोन को विश्राम देता हूँ।

सुधीर श्रीवास्तव

Hindi Poem by Sudhir Srivastava : 112000846
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