हम किसीकी जहन में कितनी देर रहते है,
किसीकी तलब में कितनी देर रहते है।
कोई हमारी खातिर कितना जगा है?
रफ्ता रफ्ता सब आवाज़े बंध हो जाती है!
शहर पुराने हो जाते है,
हमारे किसीके लिए विचार, शब्द ,अहमियत ,ताल्लुक ,रिश्ता , जज़्बात एकदम से बदल जाते है ,,
फिर भी ज़िन्दगी का जायका बना रहता है ,
इसकी दौड़ और रफ्तार भी क़ायम रहती है,
शायद यही कुदरत की कैफ़ियत है ।।।।
हमे टूटकर भी ज़िंदा और क़ायम रहना है कूद के लिए और हमारे ख़ुद के लोगो के लिए 🙏😇💓💓💗💕🫰