क्या सहेजे किसे समेटे
सब कुछ बिखरा पड़ा है मेरे अन्दर।
कुछ बातें तुम्हारी है
कुछ यादे तुम्हारी है
क्या क्या समेटे
तेरी यादें तेरी बातें
तेरा आना तेरा जाना
कभी वो मुस्कुरा देना
क्या क्या समेटे
तेरी आंखों की चमक
मेरे दिल का अंधेरा
और हर पल ये गम
क्या क्या समेटे।।
मीरा सिंह