सूनों भैया भूतों की गपशप
आवाज भी कम करते गपशप
चुपके से मैंने सूनी उनकी गपशप
कुछ रोती कुछ चिल्लाती गपशप
धीरे धीरे आवाज़ बढ़ती
सुनाई दी अब स्पष्ट गपशप
एक भूत बोला,हम यहां क्यूं आयें
दूसरे ने जवाब दिया, हमारे कर्म से हम आयें
तीसरे भूत ने किया अट्टहास
सब भूत डर गये,बोले क्यूं तुम हंसते
अट्टहास करता भूत बोला
हमारा अहम,और मोह से बन गये भूत
यदि हमें धन की लालसा न होती
इश्वर पर श्रद्धा यदि अधिक होती
हमारे अपनों ने हमें लूटा
खून्नस से हमने किये बुरे कर्म
यह सुनकर सब भूत बोले
सही कहा,हम भटकें न होते
हमारी सद्गति प्राप्त होती
हमारे बच्चे भी ख़ुश होते
हमारी संतान के सुख कारण
हमारे मोह ने किया हमारा पतन
इतने में हवेली का दरवाजा खुला
सूर्य की किरणों से सब भूत भागें
यूं तो हम हवेली में न आते
आयें थे और भूतों को न पहचानते!
हमारी लालसा, हमारे लिए ही भूत है
पतन का मार्ग, हमारे कर्मों से ही होते
भूतों की गपशप सुनकर सिख मिलती
अपने स्वार्थ को त्याग कर,अच्छे कर्म करना
- कौशिक दवे