कहानी: “पेड़ का सबक”
एक बच्चा रोज़ एक पुराने पेड़ के पास खेला करता था। पेड़ उसे बहुत प्यार करता था।
एक दिन बच्चा उदास था।
पेड़ ने पूछा:
"क्या हुआ?"
बच्चा बोला:
"मुझे खिलौना चाहिए, पर पैसे नहीं हैं।"
पेड़ ने कहा:
"मेरी कुछ टहनियाँ तोड़ लो, बेच दो।"
बच्चा खुश हुआ और टहनियाँ तोड़कर चला गया।
समय बीतता गया… बच्चा बड़ा हुआ। कभी घर चाहिए था, कभी नाव।
पेड़ हर बार कुछ न कुछ देता गया – अपनी टहनियाँ, पत्ते, तना…
आख़िर में पेड़ सिर्फ एक ठूंठ बन गया।
सालों बाद, बूढ़ा आदमी लौटा। पेड़ बोला:
"अब मेरे पास कुछ नहीं बचा देने को…"
बूढ़ा मुस्कराया और बोला:
"अब मुझे कुछ नहीं चाहिए… बस बैठने के लिए थोड़ी शांति चाहिए।"
पेड़ बोला:
"आ जाओ… मैं अब भी यहीं हूँ – तुम्हारे लिए।"
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सीख:
माता-पिता पेड़ की तरह होते हैं – सब कुछ दे देते हैं, पर बदले में कुछ नहीं मांगते।
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