कापते होंठों से आवाज़, दिल में छुपे राज,
कुछ तो बयां करो, कुछ तो कहो अल्फ़ाज़।
ख़ामोश लब मगर आँखों में तूफ़ान,
तेरी हँसी में छुपे हैं चाहत के अन्दाज।
रातों के साए में जज़्बात जागे,
मैं भी सुनता रहा दिल की आवाज़।
तू पास है फिर भी दूर सा क्यों है,
धड़कन कहे तुझसे कर लूँ कुछ राज़।
बंद लबों को अब खुलने दे राजेश,
गाने दे राग , बजने दे साज़।