चीजें और आदमी कितनी अलग हैं। बरसों बाद भी घर, किताबें, कमरे वैसे ही रहते हैं, जैसा तुम छोड़ गए थे, लेकिन लोग? वे उसी दिन से मरने लगते हैं, जिस दिन से अलग हो जाते हैं। मरते नहीं, एक दूसरी जिंदगी जीने लगते हैं, जो धीरे-धीरे उस जिंदगी का गला घोंट देती है, जो तुमने साथ गुजारी थी...
एक दिन का मेहमान ❤️🩹