टूट कर भी मैंने संजोए रखा है अपने आप को
तारीफ की कभी आदत ही नहीं है पर
फिर भी हर एक काम में
जी लगाकर डुबोएं रखा है मैंने अपने आप को...
काश कि आश में कभी नहीं सोचा..
जो हुआ जैसे हुआ...
सबको अपनाया मैंने
ताश की तरह कभी-कभी किसी के फायदे के लिए किसी भी रिश्ते को नहीं निभाया मैंने, या नहीं रखा किसी से रिश्ता मैंने
और हर बार भलाई के दौरान धोखा खाया है मैंने
पर धोखा खाने के बाद भी
हर एक रिश्ते को पूरी ईमानदारी से निभाया है मैंने
टूट कर भी मैंने संजोए रखा है अपने आप को
- Bindu