मैं और मेरे अह्सास
यादें तेरी
तन्हाई में अक्सर यादें तेरी दिल को बहला जाती हैं l
मचलते बहकते जज़्बातों को कुछ देर सहला जाती हैं ll
वक्त मिलते ही जरूर आएगें पहली ट्रेन से मिलने l
वादा किया तो निभाएंगे ये रूठे को समझा
जाती हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह