खालीपन का गीत
सपनों का शहर था कभी,
अब वीरानों की गूंज है।
जिन रास्तों पर चलते थे हम,
वहाँ अब बस धूल का ढेर है।
सूरज भी उदास है,
चाँद भी चुप सा है।
जो हँसी बिखेरी थी कभी,
वो अब कहीं गुम सा है।
तुम्हारे बिना ये दुनिया,
एक अधूरी किताब सी है।
हर पन्ना खाली लगता है,
जैसे कोई लापता जवाब सी है।
आँखों में नमी है हरपल,
दिल में एक सवाल सा है।
क्या तुम भी याद करते हो मुझे?
या बस मैं ही बेहाल सा हूँ?
खामोशी को साथी बना लिया,
दर्द से दोस्ती कर ली।
इस दिल ने हँसना छोड़ दिया,
जिंदगी से दूरी कर ली।
अगर कहीं से लौट आओ,
तो ये खालीपन भर जाएगा।
वरना ये जीवन का सफर,
बस अधूरा ही रह जाएगा।