॥ प्रेम की नन्ही सी चाहत ॥
कभी हमने भी चाहा था,
कोई हो जो समझे हमें,
हर दर्द को, हर चिंता को,
अपना समझे, बिना कहे हमें।
चाहिए था हमें भी एक आंचल,
जिसमें सुकून की गर्मी हो,
जो हमारे थके हुए दिन में,
कुछ पल की राहत हो।
कोई हो जो माथे पर चूमे,
खुशियों की रौशनी में खो जाए,
जब भी हम टूटे हो, दिल से,
उसे फिर से जोडने आ जाए।
हमें भी चाहिए वो 'साथ',
जो कभी न छोड़े, न मुड़े,
जो हर पल हमें ताकत दे,
और हमारी खुशी में जुड़े।
गालों पे वो थपकी, वो प्यार,
जो कहे, "तुम्हें चाहिए नहीं डर,
हमेशा तुम हो मेरे पास,
चलो, इस सफर में साथ चलें, हर बार।"
यही है हमारी प्रेम की ख्वाहिश,
सारी ज़िन्दगी में एक साथी,
जो हो हमारे हर दर्द का इलाज,
हमारी दुनिया की सच्ची साथी। - ©️ जतिन त्यागी