तुम को क्या मालुम कि हर्जाना क्या होगा
बिना नौकरी के घर जाना क्या होगा।
हम है बेरोज़गारी से सन्ने आशिक
हमें मालुम है इश्क जताना क्या होगा ।
और टीक नहीं पाएगी आखिर तक बात हमारी
बने बनाए महलों को आग लगाना क्या होगा ।
और फिर मंजर में बदल जाएंगी खुशियां एक दिन
तुम क्या जानो
पली पलाई मोहबत को गैर के नाम लगाना क्या होगा..!! 🩶💔