हर कुत्ते का दिन आता है, ये कहावत पुरानी है,
हर कोई न्याय पाता है, ये सच्चाई जानी है।
कोई लाख करे मनमानियां, पर हार उसे भी मिलती है,
वक्त का पहिया घूमता है, और जीत सच्चाई की होती है।
धूप छांव का खेल है जीवन, हर दिन नया सवेरा है,
जो आज है अंधेरा, कल वो उजाला घनेरा है।
कभी-कभी लगता है, अन्याय का राज है,
पर हर कुत्ते का दिन आता है, ये भी एक अंदाज है।
जो बोता है बबूल, उसे कांटे ही मिलते हैं,
जो करता है सच्चाई से प्यार, उसे फूल खिलते हैं।
समय की चाल निराली है, सबको उसका फल मिलता है,
हर कुत्ते का दिन आता है, ये कहावत सच्ची लगती है।
धैर्य रखो और सच्चाई पर चलो, ये जीवन का मंत्र है,
हर कठिनाई का हल मिलेगा, ये समय का तंत्र है।
जो आज है राजा, कल वो रंक भी हो सकता है,
हर कुत्ते का दिन आता है, ये जीवन का सत्य है।
कभी-कभी लगता है, संघर्ष का अंत नहीं होता,
पर हर रात के बाद, एक नया दिन भी होता।
जो आज है मुश्किल, कल वो आसान हो जाएगा,
हर कुत्ते का दिन आता है, ये समय दिखाएगा।
जो करता है मेहनत, उसे फल जरूर मिलता है,
जो करता है छल-कपट, उसका अंत भी होता है।
जीवन की इस राह में, सबको अपना हिस्सा मिलता है,
हर कुत्ते का दिन आता है, ये कहावत सच्ची लगती है।
सपनों की उड़ान हो, या हकीकत की जमीन,
हर किसी का वक्त आता है, ये जीवन का यकीन।
जो आज है संघर्ष, कल वो सफलता में बदल जाएगा,
हर कुत्ते का दिन आता है, ये समय का पहिया बताएगा।
इसी पर य़ह कविता पेश किया है..
हर कोई किसी न किसी दिन न्याय पाता है
सुना है हर कुत्ते का दिन आता है
कोई लाख कर ले मनमानियां पर हार जाता है
वो कहते हैं न ,
हर कुत्ते का दिन आता है
(यह क्या बके जा रहा हूँ मैं ?
और क्यों पढ़े जा रहे हैं आप ? )
मैंने अर्ज़ किया न साहब ,
हर कुत्ते का दिन आता है.
क्या कोई कुत्ता घी पचा पाता है?
मैंने अर्ज़ किया न साहब ,
हर कुत्ते का दिन आता है
कोई कोई कुत्ता तो लात
या कोई कोई हड्डी पाता है
(मैंने अर्ज़ किया न साहब
हर कुत्ते का दिन आता है)
(यह कोई राजनीति आदि नहीं है जो मैं बके जा रहा हूँ
मैंने अर्ज़ किया न साहब
हर कुत्ते का दिन आता है)..