उस पत्थर दिल वाले ने
रीड की हड्डी को झुकाया,
एक सौ बीस डिग्री पर लाया।
पुंछ को गोल घुमाया,
और contract को पाया ।
कुर्सी पर बैठे ऐसे,
जैसे योगी ध्यान में बसे।
कंप्यूटर पर काम किया,
हंसी में सबको डुबाया।
बॉस ने देखा, हंस पड़ा,
कहा, "ये क्या तमाशा है भला?"
कर्मचारी ने मुस्कुराया,
कहा, "ये तो बस योग का कमाल है, भैया!"
काम भी हुआ, मजा भी आया,
रीड की हड्डी ने भी आराम पाया।
पुंछ को गोल रखते हुए,
हमने ऑफिस में धूम मचाया।
फिर आया भ्रष्टाचार का दौर,
सबने मिलकर किया जोर-शोर।
रिश्वत का खेल चला,
ईमानदारी का नाम मिटा।
सरकारी दफ्तर में लगी भीड़,
सबने अपनी जेबें तानी।
कर्मचारी ने कहा, "क्या करें,
भ्रष्टाचार की है ये कहानी।"
फिर भी हमने हिम्मत न हारी,
ईमानदारी की राह पकड़ी।
पुंछ को गोल रखते हुए,
हमने भ्रष्टाचार को भी मात दी।