वह जीवन है क्या,
जो दूसरों पर न्योछावर ना किया,
वह मानव ही क्या,
जो सिर्फ खुद के लिए जिया।

वो तकदीर ही क्या,
जो दूसरों के काम न आई।
वो मेहनत ही क्या,
जिस से की सिर्फ अपने लिए कमाई।

वो धन ही क्या,
जो खर्च सिर्फ खुद पर किया।
वो मन ही क्या,
जिसमें न हो औरों के प्रति दया।

वो सफलता ही क्या,
जिस से बस खुद की हो भलाई।
वो जिंदगी ही क्या,
जो औरों पर न हो लुटाई।

खुद के लिए तो जीते हैं सब,
कभी औरों के लिए जी तो भाई।।

Hindi Blog by Arya Tiwari : 111948931
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