विद्या दायिनी नमो नमः।
विद्यारंभ करिष्यामि सिद्धि भवतु मे सदा वरद मुद्रा ज्ञान मुद्रा विद्या दानं
करोतु मे।
विद्या दायिनी वेदों की स्वामिनी
वेदों की ज्योति जला देना।
वेद वेदांग शोभे तेरे हस्त मां घर घर में
वेदों को पढ़ने का ज्ञान करा देना।
जय जय हे मां विद्या रुपिणी विद्या के
भंडार उपहार हमें देना।
तेरे बिना नहीं मिले विद्या का ज्ञान मां
विद्या जगत में ख्याति प्राप्त करा देना।
तुम ही हो विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां
विद्या जगत में भ्रमर बन कर विचरण
करने का अवसर दे देना।
विद्या धन अनमोल उपहार का ज्ञान जरा
हमें विस्तृत करा देना।
हे मैहर वाली मां शारदे विद्या सर्व सुलभ
करा देना।
विद्या का आधार तुम से ही है हे मां शारदे। विद्या पर अधिकार रहे यही वरदान
दे देना।
हे विद्या दायिनी विश्वेश्वरी वागीश्वरी
हे मां सरस्वती हे मां शारदे हमें सद्बुद्धि
देकर सतपंथ पर चलने को
प्रेरित करना।
विमल मति विमल विचार और विवेक
से हमें मां शारदे विभूषित कर देना।
जड़ मति कुबुद्धि मिथ्या प्रपंचों से हमें
उबार लेना।
सत्कर्म बने जीवन आधार हे मां शारदे
अब सुकर्म धर्म सविता सम तेजोमय
ज्योति पुंज से प्रकाशित जीवन
कर देना। तेरी पूजा अर्चना वंदना करने
में बीते जीवन मेरा यही भावना
जगा देना।
* यदक्षरं पदभ्रष्टं मात्रा हीनं च यद् भवेत्। तत्सर्वं क्षम्यतां देवी सरस्वती प्रसीद कुशलं मंगलं करोतु मे*।
- Anita Sinha