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हे मां भारती हे मां शारदे। जय जय हे मां सरस्वती हे मां भगवती हे मां शारदे। कोटि-कोटि प्रणाम तेरे चरणों में करते हैं हे मां शारदे। धरती तुम्हें पुकारती जय जय हे मां भारती। हंस पर सवार होकर अब आओ धरा पर हे मां भारती। तेरे नाम अनेकों विश्व संचालिनी कहलाती तुम हो हे मां सरस्वती हे मां भगवती हे मां भारती। जय जय हे मां ज्ञान दायिनी हंस वाहिनी हे मां शारदे। वाहन तेरा हंस कमल फूल तेरा आसन हे मां हंसवाहिनी हे मां भारती हे मां शारदे। जय जय हे मां श्वेत कमल वासिनी वैकुंठ वासिनी हे मां शारदे। अखिल विश्व की एक छत्र स्वामिनी हे विद्या दायिनी हे मां विद्या रुपिणी हे मां शारदे। तुम ही हो ज्ञान की दाता शब्दों की ज्ञाता वेद पुराण विख्याता हे मां शारदे। जय जय हे मां ब्रह्मचारिणी वर दायिनी विमल मति दायिनी हे मां शारदे। कुमति निवारिणी तुम हो हे अम्ब जग जननी जगदम्ब जग अवलंब हे मां शारदे। तेरे चरणों में जो आए वो विद्या से झोली भर कर जाते हैं हे मां शारदे। हम तो तेरे द्वार के हैं भिखारी शरण में आए हैं तुम्हारी। बसंत ऋतु पर ऐसा ही हो बसंत जहां खुशियां हो अनंत। पक्षियों के कलरव गूंजे कोकिल की कुहू कुहू दादुर पपीहे के स्वर मधु रस छलकाए सुदूर गगन उड़ते पंक्षी विहंगम् दृश्य झलकाए उमंग और उल्लास से ध्वनित हो दिग दिगंत। बसंत में बसंत का उपहार दे धरती हो शस्य श्यामला सर्वदा सुफला सुजला। अविरल निर्मल रजत गंग धार बहे बसुंधरा हो पल्लवित सुरभित सुमन चमन में। बसंती फूलों की फूले फुलवारी हे मां भारती तेरे वतन में। बसंती चोला पहने आजादी के दीवाने गाते रहें गीत मेरे भारत देश में। जन जन जय घोष करें तेरे महिमा गान के भारत देश में। मति मति मति दे हे मां शारदे। मति विभ्रम दूर हो हे मां शारदे। जड़ बुद्धि को दूर करो हे मां शारदे। बुद्धि को प्रखर बना दे हे मां शारदे। हे बुद्धि की देवी बुद्धि का वरदान दो हमें। तेरे चरणों में सेवा साधना करने का अवसर दो हमें। तेरी पूजा करें हे मां शारदे। तेरे चरणों में शीश नवाएं हे मां शारदे। फल फूल और प्रसाद चढ़ाएं हे मां शारदे। धूप दीप और आरती करें हे मां शारदे। तेरे चरणों में जयकारे लगाएं हे मां शारदे। कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं हे मां शारदे। भूल चूक माफ करो हे मां शारदे। जय जय हे मां शारदे। - Anita Sinha
महाकुंभ उत्सव। महाकुंभ बसंत ऋतु राज का शुभ सौगात है जी। मां सरस्वती जी का त्रिवेणी संगम मिलाप है जी। चारों शिव शंकर जी का धाम महाकुंभ महादेव का तीर्थ धाम राज प्रयाग उपहार का बरसात है जी। बसंत आ गया है चलो चलें सब मिलकर उत्सव महाकुंभ उमंग और उत्साह से भर कर मनाएं। बंधु सखा नाते-रिश्तेदारों एवं आत्मीय स्वजनों संग प्रेम मुदित हों झूमते नाचते हर्षोल्लास से बसंतोत्सव महाकुंभ में मनाएं। कोई कोर कसर बाकी न रहे उत्सव में ऐसा रंग हो हमारे मन में जी। तन रंग लें मन रंग लें और अन्न धन घर भर लें जी। कर लो दर्शन महादेव विराजे महाकुंभ संगम तीर्थ राज। जहां बज रहा ढंका शिव शंकर जी का निशि वासर जागरण जयकारा होता बाबा विश्वनाथ भोले नाथ का केवल राज। वो है महाकुंभ महादेव तीर्थ राज। हर हर गंगे हर हर गंगे हर हर गंगे। नमामि गंगे नमामि गंगे बोले धरती का कण-कण बोले जन जन बोले चलों चलो तीर्थ राज प्रयाग राज। बसंत में चलें प्रयाग राज संगम मेला। ऋतु राज बसंत राजित तीर्थ धाम में लगा हुआ है महाकुंभ महादेव दर्शन पावन पर्व पर मेला। सारे तपस्वी ऋषि मुनि संन्यासी संग भक्त गण साधु संत कर रहे कल्प वास हवन-यज्ञ खास तट संगम। बना हुआ है अद्भुत अलौकिक भक्ति सागर नजारा । गूंजे हर हर गंगे हर हर महादेव महाकुंभ जयकारा। अद्वितीय अनुपम सौंदर्य अह्रनिश छलक रहा जन जन दर्शन हर्षित मन। देश विदेश कोने कोने से उमड़ पड़ा है जन आस्था का सैलाब। प्रयाग राज की धरती चमके निशि वासर जैसे दोआब। महाकुंभ वर्ष १४४ बाद लगा प्रयाग राज छलके अमृत बूंद कण कण में। ढोल बाजे गाजे नगाड़े सतरंगी छटा बिखेरे शिव शंकर शम्भु के चरणों में। नागा साधु , किन्नर टोली , साधक महादेव आराधक सज धज कर करतब दिखाते झूमते नाचते और गाते ब्रह्म मुहूर्त में पाएं अमृत स्नान लाभ। अपरिमित अध्यात्मिक भक्ति गूंज का शोर व्याप्त हो गया है संगम पर। नयन निहारे होए निहाल खुशहाल पाकर महाकुंभ महादेव महास्नान अमृतमय भक्त सिंचित प्रयाग राज सुधा रस उद्गम पर। हे महाकुंभ के ब्रह्मांड नायक महादेव अकिंचन अधम दासी करे यथावत यथास्थान तव चरण दंडवत प्रणाम हो प्रणत नतमस्तक। जो लिखे पढ़ें और श्रवण करे तथा हूं तेरे पावन मोक्षदायिनी गंगा स्नान करे मन आनंद भरे सबको समान फल देकर कृतकृत्य करना। अर्जी हमारी मर्जी तुम्हारी मेरी आराधना सब कुशल मंगल रखना। करुण पुकार सुन लेना और इधर आओ तो तनिक विचर लेना हमारे आंगना हे महाकुंभ महादेव नित नित पूजें भजें तोहे एक मना। जय श्री गणेश जी गौरा मैया जी के शिव शंकर जी ब्रह्मा विष्णु और महेश , गंगा जमुना सरस्वती संगम पर विराजमान सर्व देवी देवताओं के चरणों में नमस्कार स्वीकार करो। यद्क्षरं पदभ्रष्टं मात्रा हीनं च यद्भवेत्। तत्सर्व क्षम्यतां देव देवी महेश्वर पंच परमेश्वर सर्व कुशल मंगल करोतु मे। सर्व बाधा हरोतु मे। शरणातम् शरणागतम् शरणागतम्। सुस्वागतम् सुस्वागतम् सुस्वागतम् महाकुंभ महादेव जी। जय जय प्रयाग राज तीर्थ धाम। जय जय मेरा सुख धाम। - Anita Sinha
प्रयाग राज तीर्थ। अमृत कलश छलके प्रयाग राज तीर्थ धाम में । गंगा मैया जमुना मैया बनी त्रिवेणी मिल सरस्वती मैया के जल धार में। डमरु बजाते त्रिशूल धारी कैलाशी त्रिपुरारी विराजे हैं महाकुंभ लगा प्रयाग राज में । धूम मची हुई है भक्ति सागर का साल एक सौ चौवालीस बाद अमृत स्नान के लिए। तैंतीस करोड़ देवी-देवता भाई विराजे हैं चारों शिव शंभु तीर्थ धाम में। हर्षाई धरती और गगन पुष्प वृष्टि हो रही कृपा की भाई महाकुंभ महादेव के चारों तीर्थ धाम में। ऊं नमः शिवाय के जयकारे सजाए झांकी निकाली हरिद्वार प्रयाग राज उज्जैन महाकालेश्वर त्रयंम्बकेश्वर। कोटि-कोटि प्रणाम महाकुंभ महादेव। दंडवत प्रणाम। - Anita Sinha
नव वर्ष २०२५ आया है नव वर्ष लेकर नव नव खुशियों का उपहार संग गुलाब सुवास । रवि की सहस्त्र किरणों ने बनाया नव वर्ष खास। जगी जन जन में फिर से अंतिम दिन साल के इंतजार का ख्वाब संग मिला जीने की आस। होत प्रातः शुरू हो गया शुभ कामना संदेश और बधाईयों का आदान-प्रदान। मगन हुआ खुशियां बांटने में घर परिवार संग सकल जहान। लेवें कुशल मंगल खबर खैरियत सबकी देते लेते शुभकामनाएं एवं बधाइयां अशेष। नव गुच्छ पुष्प गुलाब या फिर कलियां का देकर उपहार प्रिय जन भाई बहनों सह घर परिवार सकल संसार। मनाते सबकी कुशल मंगल कामना खाते पीते और खिलाते हलवा खीर पूरी मेवा प्रसाद मिष्टान्न। मिट जाते हैं राग द्वेष और बैर भाव वैमनस्य क्लेश । होता है संचार प्रेम पूर्ण नव हास नव आस बन जाते हैं सुखमय आनंद मय परिवेश। कोई मनाते नव वर्ष पूजा पाठ करके घर आंगन चौबारे मंदिर गुरुद्वारे। कोई करते आयोजन भाई बहन बंधु सखा अपनों संग पिकनिक पार्टी शारटी। होती भोजन व्यंजन और हलवा खीर मिठाईयों की पार्टी। बजते आधुनिक गीत या मंगल गीत और फिर भजन-कीर्तन हरि बोल। गाते नव वर्ष मंगलमय वेला में सब मिलकर बधाई गीत श्री राधे कृष्णा जी की जय बोल। इस तरह सकल संसार मनाते नव वर्ष दिवस स्मरणीय बनाते गाकर अद्भुत गीत। ना रहता कोई भेद-भाव की भावना आज हुआ आगाज आज विश्व बंधुत्व का और बने सकल संसार मन मीत प्रीत। करे मंगल कामना अकिंचन अधम दासी लिए मन मुदित हर्षित हो जन जन जग उद्धार। बारिश होवे श्री राधे कृष्णा जी की अपरिमित। गाओ भाई बहनों बंधु सखा संग मिलकर जी। मनाओ खुशियां शुभ नव वर्ष पर आज दो बधाईयां हजार लख लख बार। जय जय श्री राधे कृष्णा जी। प्रणाम कोटि-कोटि बार। वंदन करो स्वीकार ले लो हमें शरण में रखो बनाकर सेवादार । जय जय श्री सहस्रबाहु नारायण बद्रीनाथ धाम वाले दो सबको आशीष वरद हस्त बढाना दया दृष्टि बनाए रखना बने नव वर्ष पाकर ज्योतिर्मय जीवन जन जन में भरे रहे तेरी बख़्शिश। - Anita Sinha
मां सरस्वती वंदना जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे। जय जय हे मां भगवती हे मां शारदे। जय जय हे मां भारती हे मां शारदे। कोटि-कोटि प्रणाम करते हैं हे मां शारदे। जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे। जय जय हे मां सरस्वती नव वर्ष की मंगल मय वेला में आए हैं तेरे द्वार। तुम्हें चढ़ाने आए हैं कमल फूलों के हार। पीले चंदन , पुष्प पीत , अक्षत, गंगाजल रोली सिन्दूर श्वेत परिधान ,सुहाग सामग्री करें पूजन अर्चन और सोलह श्रृंगार। अर्पित करें फल फूल और नैवेद्य प्रसाद धूप दीप और आरती से सजाएं थाल। बजाएं ढोल ढाक झांझर और करताल गाएं मंगल गीत सात सुहागिन मिलकर हजार। पूजा की विधि नहीं जानें और ना जानें पूजा। हम अज्ञानी को बतला दे कैसे करें तेरी आराधना और ध्यान जप तप । तेरे सिवा नहीं जग में हे मां और कोई दूजा। सब कुछ तेरा ही है हे मां शारदे। तेरी वस्तु तुझे समर्पण अर्पण करते हैं। तेरे चरणों में बारम्बार नमन करते हैं। करो कृपा अपार हे जग जननी जग वंदनी जग कल्याणी विश्व संचालिनी हे मां शारदे। विमल मति दे हे मां शारदे। मति मति मति दे हे मां शारदे। तमस हरो हे मां शारदे। कुमति निवार दो हे मां शारदे। बुद्धि को हाजिर जवाब बना दे हे मां शारदे। जड़ बुद्धि को दूर करो हे मां शारदे। मति विभ्रम दूर हो हे मां शारदे। सद्बुद्धि, विवेक सन्मति ज्ञान का दो वरदान। दूर हो अज्ञान का अंधेरा हे मां शारदे। आए जीवन में नव वर्ष पर नवल सबेरा हे मां शारदे। करें तेरी आरती भव्य और लगाएं जयकारे। पुआ पूरी पकवान मालपुआ खीर हलवा मेवा मिष्टान्न दही बूंदी प्रसाद के लगाएं भोग भंडारे। भक्त गण श्रद्धालु गण तथा दर्शनार्थी संग मिलकर नव वर्ष पर शुभकामनाएं एवं बधाइयां गाएं तेरे चरणों में सबके लिए। जो लिखे, पढ़ें और श्रवण करे हे मां शारदे वही आशीर्वाद हो सबों के लिए। नव वर्ष नव दिवस नव मंगल मय वेला में अकिंचन दासी देवे शुभकामनाएं एवं बधाइयां मातृभारती प्लेटफार्म एवं सभी भाई बहनों बंधुओं को बारंबार सह नमस्कार शुभ संध्या का सौगात। ले लो शरण में हमें हे मां शारदे सह संतानों को होते रहे सदा सर्वदा कुशल मंगल सुख शांति की बरसात। भर देना हे मां शारदे जन जन में नवल नूतन प्यार। पुष्पित पल्लवित रहे जन जीवन मनाएं हर दिन दिवाली का त्यौहार। जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे। दंडवत प्रणाम स्वीकार करें हे मां शारदे। जय जय हे मां शारदे। - Anita Sinha
अंतिम दिन साल का देखते देखते साल बीत गये बस अब रह गये हैं चंद घंटे शेष। कितने उतार चढ़ाव आए जीवन में बस चलते रहें हम मंजिल के लिए। आने वाला है शुभ नव वर्ष तो मंजिल हमारी यही है फिलहाल। कोई घर में कोई बाहर में पार्टी शारटी करे सकल जहान। चाहे वो गरीब हो या फिर अमीर ना चिंता रहती भविष्य की। बस बंधु सखा परिवार संग खाते पीते मौज मस्ती करते दिन बिताते हैं आज । रहता इंतजार घड़ी की सुई पर बारह बजने की। सच पूछिए तो बड़ा बेहतरीन और शानदार होता है उमंग और उत्साह से भरा हुआ साल का अंतिम दिन। चाह रहती है कि किस तरह किस जगह पर मनाएं खुशहाली कि रहें प्रेम मुदित मन मग्न आनंदमय और हो शुभ शुभ मंगलमय नव वर्ष का दिन। होता रहता है फूलों की बारिश बजते रहते हैं सजा रहता है गीत संगीत का संसार। हम कह सकते हैं काटे नहीं कटते हैं साल का अंतिम दिन मन में छाए रहते हैं बादलों की बौछार। कहते कहते रटते रटते सब मिलकर जपते हैं नव वर्ष मंगलमय वेला का गीत मल्हार। गाते शुभकामनाएं एवं बधाइयां सब मिलकर बजावें करताल बारंबार। अंतिम दिन साल का हुआ शेष ना रहा अब अवशेष। धूमिल हुई छबि अंतिम दिन साल की बज गया बाजा । नूतन वर्ष के शुभारंभ पर अभिवादन , नमन , अभिनन्दन , प्रणाम एवं आशीर्वाद का सिलसिला जारी रहा रात दिन लोग खुशियां मनाएं खाएं हलवा खीर पूरी सात व्यंजन और मेवा मिष्टान्न खाजा। अंतिम दिन का हो गया था अवसान दोस्तों। नवल प्रभात का हुआ आगमन उदित नारायण का मिला उपहार बन कर सौगात दिनमान। - Anita Sinha
मां सरस्वती वंदना जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे। जय जय हे मां सरस्वती कश्मीर पुर वासिनी हे मां विमला वसुधा हे मां शारदे। जय जय हे मां सरस्वती हे मां भगवती हे मां भारती हे मां मैहर वाली हे मां शारदे। त्रिकुटा पर्वत पर विराजमान तेरा भव्य मंदिर दिव्य स्वरूप से सुसज्जित है हे मां शारदे। जय जय हे मां विश्व संचालिनी हे मां शारदे। तेरे चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम हे मां शारदे। जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे। तेरी पूजा करने आए हैं हे मां शारदे। लाए हैं कमल फूलों के हार तुम्हें पहनाने को हे मां शारदे। खोलो द्वार कब से खड़े हैं तेरे चरणों में आंचल पसार हे मां शारदे। दे दिव्य दर्शन हे मां शारदे कि पा जाएं विद्या बुद्धि ज्ञान बल और विवेक संयम का वरदान हे मां शारदे। जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे। जो तेरे दर पे आते हैं झोलियां भर कर ले जाते हैं हे मां शारदे। मैं तेरे दर का भिखारी मांगूं शरणागति तिहारी हे मां शारदे। ले लो शरण कि पूजा जप तप ध्यान साधना में बीते जीवन मेरा हे मां शारदे। बार बार अभिनन्दन करती दासी चरणों में तेरा हे मां शारदे। प्रणत नमामि त्वां चरणे भजामि हे मां सरस्वती हे मां शारदे। जय जय हे मां शारदे। मति मति मति दे हे मां शारदे। विमल मति दे हे मां शारदे। अज्ञान तिमिर हर लो हे मां शारदे। सद्बुद्धि दे हे मां शारदे। बुद्धि को हाजिर जवाब बना दे हे मां शारदे। बुद्धि को तीव्र बना दे हे मां शारदे। बुद्धि का वरदान दो हे मां शारदे। बुद्धि का सागर तुम हो हे मां शारदे। बुद्धि पर विराजो हे मां शारदे। कुबुद्धि नाशिनी तुम हो हे मां शारदे। बुद्धि जीवी बना दे हे मां शारदे। बुद्धि को हाजिर जवाब बना दे हे मां शारदे। मति विभ्रम दूर हो हे मां शारदे। जड़ बुद्धि को दूर करो हे मां शारदे। जय जय हे मां शारदे। आत्म विश्वास, धैर्य,बल और विवेक तथा सद्व्यवहार ज्ञान का भंडार दे हे मां शारदे। घट घट में ज्ञान भर दे हे मां शारदे। ज्ञान चक्षु खोल दे हे मां शारदे। ज्ञान को अंतर्हित कर दो मन में हे मां शारदे। ज्ञान मय उद्गार दे हे मां शारदे। ज्ञान से आलोकित जग कर दे हे मां शारदे। ज्ञान वान बना दे हे मां शारदे। ज्ञान वर्धक लेखों को लिखा दे हे मां शारदे। हम अज्ञानी को ज्ञान दे हे मां शारदे। जय जय हे मां शारदे। भावों का उद्गार दे हे मां शारदे। भावों की गंगा बहा दे हे मां शारदे। भावों में ना अवरोध उत्पन्न हो हे मां शारदे। भावों को जगा दे हे मां शारदे। भावों को प्रवाह दे हे मां शारदे। भावों में सक्रिय रहें हे मां शारदे। भावों में बसो हे मां शारदे। जय जय हे मां जग जननी हे मां शारदे। फल फूल और प्रसाद चढ़ाएं हे मां शारदे। धूप दीप और नैवेद्य अर्पित करें हे मां शारदे। अखंड ज्योति प्रज्वलित करें हे मां शारदे। तेरे चरणों में दंडवत प्रणाम करते हैं हे मां शारदे। जय जय हे मां शारदे। भूल चूक माफ करो हे मां शारदे। कृपा करो हे मां शारदे। अकिंचन अधम दासी कहे करो मेरे मन में बसेरा हे मां शारदे । नित नित वंदन पूजन अर्चन होते रहें चरणों में तेरा। सादर समर्पण अंतर्मन से प्रणत अनुनय-विनय स्वीकार करो मेरा। सर्व कुशल मंगल कामना सहित सदैव रहे शुभाशीष शीश पर हे मां शारदे। आने वाले शुभ नव वर्ष पर मिले मंगलमय ज्योतिर्मय जीवन का वरदान बहुतेरा। हो सुखी घर परिवार ले लेना शरण में मुझ संग संतानों को हे मां शारदे कि अधम दास करें दंडवत प्रणाम चरणों में तेरा। लिखते रहे लेखनी बन कर निर्झरणी हे मां शारदे। जय हो जय हो जय हो मंगल करणी दुःख हरणी सुख करणी जग वंदनी हे मां शारदे। रहे अकिंचन दासी तेरे चरणों में बनकर सदा सेवादार तेरा। रहें जीवन ज्योतिर्मय जाज्वलयमान यही है अरमान मेरा। हे करुणामई दयामई आनंदमई मां सरस्वती हे मां शारदे १००८ कमल फूलों के हार नूतन वर्ष पर सप्रेम सादर समर्पित स्नेह अभिनन्दन बारंबार तेरा। शब्दों के उपहार समर्पण करते हैं हे मां शारदे तेरे चरणों में। ना जाने हम व्रत पूजा और ना जाने विधि विधान हे मां शारदे नत मस्तक रहें सदा तेरे चरण कमलों में। पूजा भाव भक्ति फल प्रसाद भावों से चढ़ाने आए हैं। ये सब वस्तु तुम्हारी ही है हे मां शारदे। अर्ज़ यही मेरी है चाहो तो स्वीकार करो। बना दो ज्ञानवान बुद्धिमान हमें हे मां शारदे अब विद्या बुद्धि ज्ञान विस्तार करो। जय हो जय हो जय हो हे मां सरस्वती हे मां शारदे। तेरी होवे जय जय कार हे मां शारदे। शरण में ले लो हमें उबार देना जग उद्धार देना सबको कुशल मंगल रखना। जग जगमग कर देना। जय जय हे मां शारदे। जय हो जय हो जय हो जय जय हे मां शारदे। - Anita Sinha
मां सरस्वती वंदना वाणी की अधिष्ठात्री देवी तुम हो हे मां शारदे। वाणी पर विराजती तुम हो हे मां शारदे। वाणी में सुधा रस धार देती तुम हो हे मां शारदे। वाणी का नियंत्रण तेरी कृपा से ही होता है हे मां शारदे। जय जय हे मां शारदे। वाणी गीत लिखने का वरदान दो हे मां शारदे। वाणी गीत में तेरा वास होता है हे मां शारदे मां। वाणी गीत में सुर लय और ताल दे हे मां शारदे। वाणी गीत को आशीर्वाद दो हे मां शारदे। वाणी गीत का संसार तुम हो हे मां शारदे। जय जय हे मां शारदे। वाणी सरल सहज और सरस हो हे मां शारदे। वाणी की सुकोमलता हो हे मां शारदे। वाणी में बस जाओ हे मां शारदे। वाणी की कटुता को दूर करो हे मां शारदे। जय जय हे मां शारदे। वाणी को मधुर उद्गार दो हे मां शारदे। वाणी ऐसी बोलें कि शत्रुओं का दिल जीत सकें। राग और द्वेष दूर हो जाए हे मां शारदे। वाणी प्रभावशाली दे हे मां शारदे। वाणी में ओज हो हे मां शारदे। वाणी में तेज हो हे मां शारदे। जय जय हे मां शारदे। तेरे चरणों में शीश नवाएं हे मां शारदे। तेरे चरणों में जयकारे लगाएं हे मां शारदे। तेरे चरणों में पूजा करें हे मां शारदे। सद्बुद्धि दे हे मां शारदे। बुद्धि को हाजिर जवाब बना दे हे मां शारदे। बुद्धि को प्रखर बना दे हे मां शारदे। कुबुद्धि नाशिनी तुम हो हे मां शारदे। शत्रु बुद्धि विनाश हो हे मां शारदे। बुद्धि का वरदान दो हे मां शारदे। जय जय हे मां शारदे। मति मति मति दे हे मां शारदे। विमल मति दे हे मां शारदे। तमस हरो हे मां शारदे। कुमति निवार दो हे मां शारदे। मति विभ्रम दूर हो हे मां शारदे। मैं मूरख और अज्ञानी हूं हे मां शारदे। मुझे विद्या बुद्धि ज्ञान दे हे मां शारदे। फल फूल और प्रसाद चढ़ाएं हे मां शारदे। धूप दीप और आरती करें हे मां शारदे। भूल चूक माफ करो हे मां शारदे। कृपा करो हे मां शारदे। अकिंचन अधम दासी है पड़ी तेरे चरणों में लिए आस नवजीवन की हे मां सरस्वती हे मां शारदे। हो सुवासित गंध गुलाब संग नव हास नव उल्लास से पूरित जीवन नवल विहान की हे मां शारदे। तू ही जग जननी अम्बे जगदम्बे जग कल्याणी हे मां सरस्वती हे मां शारदे। खड़ी मैं तेरे द्वार पर ना जाने कब से लिए मन में नव ज्योति जगमग जीवन की हे मां शारदे। दे दिव्य दर्शन हे करुणामई हे मां सरस्वती हे मां शारदे कि पाएं शुभ आशीष। झुका रहे शीश तेरे चरणों में हे वरदा वसुधा हे मां सरस्वती हे मां शारदे मिले चरणों में जगह हो तेरी दया की एक नजर मुझ संग संतानों की हे मां सरस्वती हे मां शारदे। मांगे वरदान दास बीते मेरा दिन प्रतिदिन बने रहें तेरा सेवादार। देकर छत्र छाया अपनी तुम हे मां सरस्वती हे मां कर देना भवसागर से पार । ना जाने हम व्रत पूजा और विधि विधान हे मां शारदे। आस भी यही अरदास मेरी यही हैं कर अब जग उद्धार हे जग जननी हे मां शारदे। जय जय हे मां सरस्वती हे मां शारदे। - Anita Sinha
सोमवती अमावस्या दिवस सोमवती अमावस्या का होता है खास। मनाया जाता है यह पर्व त्यौहार पौष मास। अवसर होता गंगा स्नान पूजन अर्चन पितरों का तर्पण वंदन खास। दान जप तप यज्ञ होम करावे श्रद्धालु नदी तीरे हो या तालाब। करते भक्त गण पूजा पाठ भगवान शिव शंकर जी एवं श्री हरि विष्णु जी का। होता मंगलकारी शुभ वरदाई पढ़ना शिव चालीसा एवं श्री हरि विष्णु सहस्त्रनाम। पीपल पेड़ में होता है पूजन अर्चन सह गंगा जल , फल फूल अक्षत, हल्दी ,जल प्रसाद। पीपल पेड़ तले जले धूप दीप आरती परिक्रमा १०८ । नकुल दाने और कच्चे बादाम हाथ लिए श्रद्धालु गण करते भाव भक्ति से कर सोलह श्रृंगार गाते मंगल गीत सुहाग। बांधते मौली धागा पीपल पेड़ और करते ऊं नम शिवाय जाप अखंड। सोमवती अमावस्या तिथि पर होती है शिव शंकर जी और श्री हरि विष्णु जी की असीम अनुकम्पा विशेष। अकिंचन अधम दासी तेरे चरणों में कोटि-कोटि नमन करे मांगे क्षमा दान करो विचरण मेरे आंगन में जलते रहे दीप अखंड ज्योत। सुखी रहे घर परिवार संसार हे भगवान् हो मंगलमय जीवन बने आनंद स्रोत। कोटि-कोटि प्रणाम हे शिव शंकर जी पार्वती जी। कोटि कोटि प्रणाम श्री हरि विष्णु जी सहस्रबाहु नारायण जी। - Anita Sinha
शरद पूर्णिमा शरद पूर्णिमा पर महारास उत्सव बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है वृन्दावन धाम में। राधे कृष्णा जी के चरणों में महारास महोत्सव का आयोजन किया जाता है। वृन्दावन नगरी सज जाती है फूलों से सारी। राधे कृष्णा जी का फूलों से श्रृंगार करते हैं वृन्दावन वासी संग सारे नर नारी। अद्भुत रुप सज्जा करते हैं ब्रज वासी संग सकल संसार के वासी । अलौकिक अनुपम सौंदर्य छबि बरनि नहीं जाई राधे कृष्णा जी के रुप राशि। तरु पल्लव पर्वत नदिया गाए गीत मनाए शरद पूर्णिमा रास उत्सव मनाएं गूंजे संगीत हरि बोल हरि बोल हरि बोल कीर्तन-भजन करे सकल नगर वासी। शंख बजाए जयकारे लगाते चले ढोल मृदंग झांझर करताल बजाते चले निधि वन की ओर। गूंजे जयकारे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम हरे राम राम हरे हरे। नाचे ग्वाल बाल गोप कुमारी गोपियन संग बजावे ढोल मृदंग करते चले फूलों के बारिश सकल नर नारी। बताशे लुटाते चले जयकारे लगाते चले निधि वन में महारास महोत्सव जागरण करे तैयारी। श्री राधे रानी नाचे और नाचे घिरिधारी बनवारी। चंद्रमा की सोलह कलाएं श्रृंगार करे पूनम की रात जागरण में राधे बिहारी। झूमे नाचे और गाएं जागरण करत बीते रात सारी। चंद्रमा करे अमृत वर्षा आशीर्वाद पाए शरद पूर्णिमा महारास महोत्सव पर दुनिया सारी। खीर प्रसाद बने अमृत जो पान करे मनाए उत्सव रास बिहारी। शरद पूर्णिमा पर शुभकामनाएं एवं बधाइयां सबको। जय जय श्री राधे कृष्णा कोटि-कोटि प्रणाम। भूल चूक माफ करो हे भगवान जी। जय जय श्री हरि विष्णु जी। - Anita Sinha
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