तेरा...रूठना....मेरा मनाना...
तो..आज मेने उनसे पूछ ही लिया
की, अगर मे तुमसे रूठ जाउगी...
तो...कैसे मनाओगे??
उन्होने कहा...तो क्या हुआ
तुम्हारी चुप्पी अजनबी कहां हे...
मेने कहा...अगर मे तुमसे कभी
बात न करू तो.... क्या कहोगे
उन्होने कहा.....तो क्या हुआ!
मंदिर मे भी मूर्ति कहाँ बात करती हे..
मेने कहा..चाहा थी की चाहो,
तुम भी..मेरी जी की तरह...
उन्होने कहा..... तो क्या हुआ
चाहा हे तो चाहो तुम्हारी ही तरहा...
मेने कहा..अगर मे तुमसे बहुत दुर..
चली गई तो..... जी पाओगे???
उन्होने कहा.....मुस्कान के साथ
ये हक मेने खुद को तक नही दीआ
-- हीना रामकबीर हरीयाणी