सोचती हू की..



सोचती हू की,
मैं सुंदर हुं
या अल्फाज तुम्हारे
जो आयने मे देखके मुस्कुराये
वो जज़्बात तुम्हारे

सोचती हू की,
शायरी सुंदर है
या फिर दिल तुम्हारा
जो सबके धडकनो पे राज करे
ऐसा रुतबा तुम्हारा

सोचती हू की,
मेरी अदाए सुंदर है
या फिर अंदाज तुम्हारा
जिसे सामने देख के पिगल जाए
ऐसा मासूम चेहरा तुम्हारा

सोचती हू की,
रूप की राणी मैं हुं
या फिर शायरो के तुम राजा
सोचो जब मिलेंगे दोनो
तो क्या खूब होगा आशियाना

- प्रियांका अमोल वाघ

आज बहोत दिनो बाद कुछ लिखा है।
आशा है आप सबको पसंद आएगा।

English Poem by Priyanka Kumbhar-Wagh : 111926719
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