इजाजत तुम अगर दे दो,तेरी हमराज बन जाऊँ
चुन लूँ काँटे राहों से, बन कर फूल बिखर जाऊँ
इजाजत गर जो हो तेरी,तेरे जीवन को महकाऊँ
बसा लूँ साँसों में ऐसे कि ,तेरी धड़कन में बन जाऊँ।
इजाजत तुम अगर दे दो,तेरी मनमीत बन जाऊँ
सजा दूँ तुझको गीतों से,तेरा संगीत बन जाऊँ
अपने मन की वीणा से,प्रेम का गीत कोई गाऊँ
बन कर प्रेम का सावन, मैं तुझ पर प्रेम बरसाऊँ।
इजाजत तू अगर दे दे,तेरे अस्तित्व पर छा जाऊँ
समा लूँ रूह में तुझको , कि तेरा प्रतिबिंब हो जाऊँ
बसा दूँ घर मैं तेरा और, तेरी दुल्हन में बन जाऊँ
तेरी दुनिया में आकर के,तेरी दुनिया बदल जाऊँ।।
-आशा झा Sakhi