Hindi Quote in Poem by Khushbu Pal

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मैं सिर्फ अकेले मरना चाहती हूं?
तेरा हाथ पकड़
अकेले सफर करना चाहती हुँ
क्या हो हुआ अगर
परिस्थितियों की उलझनों में
मैं ख़ुद के लिए स्वार्थी होना चाहती हूँ ...
क्या हुआ अगर
तुम्हारी सबसे प्यारी मुस्कान
और सिसकियों के साथ
मैं सिर्फ अकेले आहें भरना चाहती हूँ!
क्या हुआ अगर
आपकी कामयाबी और प्रसिद्धि के साथ
मैं सिर्फ अकेले चलना चाहती हूँ?
अपनी यादों और लक्ष्यों के आसपास
मैं बस अकेले सपने देखना चाहती हूं ...
शाम के किनारों पर...और आसपास की शांति के साथ
मैं सिर्फ अकेले में सोचना चाहती हूं ❕
एक नहीं के बाद। बिना नींद वाली रातों का
और कई जटिल और अज्ञात कहानियों का मैं अकेला साक्ष्य बनना चाहती हूँ ।
क्या हुआ अगर
मैं आपके साथ रहकर आपके वयदो के वजूद से
ख़ुद कि कहानी लिखना चाहती हूँ
तुम्हारे साथ बिताये उन लम्हो
वो बाते, वो राते, वो पूर्णिमा कि शीतल चाँद के नीचे कि हुई
वो सारी बाते जो हम दोनों के
एक होने का वजूद हैँ..
इन सारी उलझनों के साथ तैरना चाहती हूँ..
अंततः आपके द्वारा किये गए
नाटकीय फैसलो के तूफान साथ...
आपकी आंखों और स्नेह में
दर्द के एक विराम के साथ
मैं फिर से सिर्फ दहाड़ना चाहती हूं-
क्या हुआ अगर मैं
वापस अकेला ही सफर करना चाहती हूँ !
क्या हुआ अगर
मैं सिर्फ अकेले जलना चाहती हूं?
क्या हुआ अगर
मैं सिर्फ अकेले मरना चाहती हूँ?
क्या हुआ...

Hindi Poem by Khushbu Pal : 111878296
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