हर रंग देखा दुनिया का मैंने,
पर दिल में स्नेह का समंदर है,
हैं रंग हजारों मेरे भी,
हर रंग ही खुद में सुंदर है,
दुनिया के लिए मैं कोई और सही...
हो शहरों का ये दौर सही...
लेकिन भोला – भाला, मतवाला सा...
एक ’गांव का लड़का’ मेरे अंदर है...
-दिनेश कुमार कीर