"वरक़ की गर्दिशों ने सिलवटों को सजाया..
तराशें हुए पत्थर को हीरा उसी ने बनाया...
वरना हम तो इतिहास बने बैठे थे ज़माने में
कल आज और कल के नज़राने में"...
डॉ अनामिका-

-डॉ अनामिका

Hindi Shayri by डॉ अनामिका : 111865963

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