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झूठे जज़्बातों से मन नहीं बहलाया जाता जज़्बाती मौकों को छिपाया भी नहीं जाता. --डॉ अनामिका---
तुमसभी का मिलना कोई इत्तेफाक़ नहीं तुम हसरत-ए-मुराद हो दुआ है मेरी कहीं भी रहो बढ़ते रहो मेरे करम का फलसफा हो कोई तरक्की तुम्हारी याद दिलाती रहेगी मंजिलों पर मंजिलें बुलाती रहेंगी. यूं ही बढ़ते रहो मैं और भविष्य गढ़ती रहूँ. #डॉअनामिका #बज़्म #हिंदीशब्द #ऊर्दूअल्फ़ाज़ #अरबीशब्द
वक्त का तजुर्बा इतना रहा ज़िन्दगी में वक्त गुज़र गया मुश्किल-ए-तजुर्बा छोड़ गया. --डॉ अनामिका-- #शनिवार_वाड़ा #मस्तानी_महल
हम कुछ और लिखना चाहतें हैं जिंदगी कुछ और.. हम कुछ और सोचते हैं पर जिंदगी कुछ और.. फिर हम क्यों लिखें कुछ भी वही लिखेगा जिसने हमें भेजा है. ---डॉ अनामिका----
अच्छा है मिडिया की वजह से हर साल मुंबई डूबने लगी है.. देखते रहें जब तक कोई नयी खबरें नहीं आतीं तब तक... "मुंबई में बारिश का खौफ" 😂😂😂 ---डॉ अनामिका---
'चोट खाने के लिए इश्क़ की ज़रूरत नहीं.. ज़ख्मों का बखिया तो सारे रिश्तों को उधेड़ देता है..." --डॉ अनामिका--
मै कोई रिक्त स्थान नहीं जो कहीं भी भर जाऊं.. कोई विकल्प भी नहीं कि चुनने का अवसर दे जाऊं.. मैं बृहद पद्यांश हूँ जहाँ भी रहूंगी पूरी कविता बनकर. जहाँ भी मुस्कुराऊंगी गज़ल बनकर.. मेरे लिए न कोई शेष है न ही कोई विशेष ---डॉ अनामिका---
कहना बहुत कुछ है पर कैसे बताऊं.. ज़ज्ब़ाती किस्से क्या सबको बताऊं.. मौसम बड़ा बेरहम है देखो तो सही.. गरमी में बरसती मेढक हैं देखो तो सही.. नदी नाले कचरों से भरे हैं कहो तो दिखाऊं.. आइना खरा है दिखेगा सही में.. टर्टराहट की आवाज़ कहो तो सुनाऊं.. --डॉ अनामिका--
वक्त का अंदा़जा नहीं कब दस्तक दे जाए मुसाफ़िर को कब मंज़िल तक पहुंचा जाए ---डॉ अनामिका--- #हिंदीकाव्य #हिंदी_का_विस्तार #हिंदीपंक्तियाँ #उर्दूअल्फ़ाज़
कुछ ना पूछो सवाल अब हकीकत बदलने लगा है... पहले मंजर कुछ और था अब शहर पिघलने लगा है... ---डॉ अनामिका---
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