तू सुन ले मानव इस जगत की बड़ी अनोखी रीत है
सब खो है जाता इक दिन सभी जिससे तुम्हारी प्रीत है
अभी भले तुम गुनगुनाओ, नृत्य कर लो, गीत गाओ
पर बात इक तुम याद रखना , राम का ही नाम रटना
चाहे ख़ुशी में झूम जाओ चाहे शोक को तुम जो पाओ
कभी अँधेरा कभी उजाला जीवन में रहता होता है
फिर भी मानव क्यों भला जीवन में पल-पल रोता है
अपने मद को तुम भुलाओ प्रेम की ज्योति जलाओ
मुस्कुराओ तुम सदा और सभी को मुस्कुराओ ।।
-राही