मेरे मन तू अब चुप हो जा
मुझे थोड़ा कुछ और सुनने दे।
तेरी बात समझ नहीं आती मुझे,
जो नहीं है उसका सब्र करने दे।
तेरे कहने से कुछ कब हुआ है
जो ना हुआ उसका अश्क रहने दे।
मेरी इतनी सी तू बात मान ले
जो नहीं कहा किसी से उसका ना कहने दे।
मेरी सिफारिस अब मुझ से ना कर
तुझे जानती हूं बस अब रहने दे।