उसे चुपचुपके देखना, उसे हंसता हुवा देख खुद का भी हंसना, कोई न कोई बहाने से उसके साथ बातें करने का मौका तलाशना, उसके साथ आनंद के कुछ पल एकांत में बिताने की कल्पना करना।
अक्सर इस दौर से हम सब गुज़रे है, और जो अभी तक गुज़रे नही वे आनेवाले कल में यह सब महसूस करेंगे, जो कभी हमने किसीके लिये किया था।
जब प्यार बिल्कुल एक नया शब्द था जानने के लिये, वो नही जानना चाहता था कि, इस राह पर चलने पर कितने दुःख और कितने दर्द मिलते है। लेकिन, उसे कहा उन मिलनेवाले अनगिनत दुःखो की पड़ी थी। फिलहाल उसके लिये जरूरी था तो यह कि, वो बस स्नेहा से बातें करता रहे, और इन्ही बातों-बातों में वो उसे अपने दिल की बात भी बता दे कि, वो उसे कितना चाहता है। उसका दिल सिर्फ उसके लिये ही धड़कता है।
आदिल के इस प्यार भरे सफर में ठीक वैसे ही बाधा आयेगी जो कभी हमारे जीवन मे आयी थी। क्या वो टूट कर बिखर जायेगा जिस तरह कभी हम टूटे थे? या फिर वो ऐसा संभलेगा कि, जिसकी किसीने कल्पना भी नही की थी।
यह कहानी सिर्फ आदिल की नही है, हम सबकी है, हमारे बीते हुवे कल की है जो समाज के दकियानूसी, घटिया, अतार्किक, बेकार और खोखले विचारो ने तबाह कर दी। यह कहानी हमारे उस कल की है जिस कल को किसीने जीत लिया तो कोई हार कर आगे बढ़ गया, कोई टूट कर बिखर गया, तो कोई गिर कर संभल गया।
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"सफ़रनामा: यादों का एक सुनहरा दौर"