बात ठहरी है अधरों पर, मगर कहना नहीं आता..
लफ्ज मिलते नहीं मुझको,शब्द बुनना नहीं आता ....
कलम कोई मैं होती,तो तेरे पत्रों में जा बसती...
इश्क लिखती में उस पे,फिर तेरे अहसास भी गढती....
तुझे अहसास न होता,तो तुझको फिर जगाती मैं...
बिठा के सामने मेरे,मेरी कविता सुनाती मैं..!!😇
-Pooja Bhardwaj