गुम सुदा है आजकल हम हमें ही नहीं पता क्या चल रहा है। नादान नहीं हैं हम फिर भी नादान बन रहे हैं। बहुत कुछ चुबता है पर सेह लेते है। क्या करे अपने ही हाथों से अपना ही गला दबा दिया।

-Barad

Hindi Shayri by Shiv Ki Diwani : 111598584
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