रोज़ रात, अंधेरे बन्द कमरों में दिए जाने वाले ज़ख्म को,
सुबह के उजालों में संवारती हैं बीवियां,
आंखों के नीचे आए हुए गहरे काले निशान पर,
उस गहरे काले निशान से भी गहरा रंग चढ़ाती हैं बीवियां
थप्पड़ के चोट से हुए लाल होंठ पर,
उससे भी गहरा लाल लिपिस्टिक लगाती हैं बीवियां,
बाजुओं पर पड़े हुए उंगलियों के छाप को,
लंबी आस्तीन वाला ब्लाउज़ पहन छुपाती हैं बीवियां,
ज़ख्म को छुपाते हुए हर रोज़ अपनी इज्ज़त बचाती हैं बीवियां,
ताकि बची रहे समाज में इज्ज़त और कहलाती रहें आदर्श बीवियां,
अपने ज़ख्म को छुपाते हुए सजी-सँवरी बीवियां हीं,
कहलाती हैं एक आदर्श बीवियां।