वह भीनी आंख का मौसम, कुछ जाना पहचाना है;
जो होठों से ना निकला दर्द, यार बहुत पुराना है.
दोहराता रहता नहीं, इश्क की ना कामयाबी बार-बार;
दोस्तों तुझसे तो ,बेहतर यह जमाना है.
कहानियां वह भी नहीं कहते, जिन्हें शौक है कहने का;
तकदीर ने ऐसा लिखा हमारा फसाना है.
मुद्दतें हो गई है उनका चेहरा देखें हुवे;
बड़े ऊंचे लोगों से अब उनका घर आना है.
खुदा की बंदगी चल एक बार फिर कर दे;
टूटे दिल को मनाने का बस यही बहाना है.