जब क्रोध अपने अंतिम चरण पर पहुँच जाता है,वह अपने आप आँसुओं में परिवर्तित हो जाता है। इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि जब भी वह क्रोधित हो,शांति पूर्वक किसी शांत कमरे में बैठ जाये फिर धीरे-धीरे स्वतः ही उसका क्रोध द्रव के रूप में उसके नेत्रों के सहारे बाहर निकल जायेगा। पुनः वह व्यक्ति एक कोमल स्वभाव वाले व्यक्ति में परिवर्तित हो जाएगा।