गूंगे शहर के सरदारों की हिमायत नहीं करता
जीने के लिए बूतकदे की इताअत नहीं करता
खानदानी हूं सो लफ्ज़ ए अदब की अदब करता हूं
वरना मेरे शहर के बुजुर्गो पे शफकत नहीं करता
यहां सब सूरज है अपने अपने आसमानों के
सो कुछ कहने लिखने की जूर्रत नहीं करता
डर है मेरे दुश्मन बढ़ेंगे अपने छोड़ चल पड़ेंगे
इसलिए हुनर आजमाता हूं सियासत नहीं करता
मकाम ए हुसैन क्या है अगर तू जान जाता
हुसैन के उसूलों से भी अदावत नहीं करता
'मोमिन' ये दुनिया है दुनिया मतलब की दुनिया
मिलने को तो मिलता हूं पर मुलाकात नहीं करता