चोरी की सजा
जब ज़ेन मास्टर बनकेइ ने ध्यान करना सिखाने का कैंप लगाया तो पूरे जापान से कई बच्चे उनसे सीखने आये। कैंप के दौरान ही एक दिन किसी छात्र को चोरी करते हुए पकड़ लिया गया। बनकेइ को ये बात बताई गयी, बाकी छात्रों ने अनुरोध किया की चोरी की सजा के रूप में इस छात्र को कैंप से निकाल दिया जाए।
पर बनकेइ ने इस पर ध्यान नहीं दिया और उसे और बच्चों के साथ पढने दिया। कुछ दिनों बाद फिर ऐसा ही हुआ, वही छात्र दुबारा चोरी करते हुए पकड़ा गया। एक बार फिर उसे बनकेइ के सामने ले जाया गया, पर सभी की उम्मीदों के विरूद्ध इस बार भी उन्होंने छात्र को कोई सजा नहीं सुनाई।
इस वजह से अन्य बच्चे क्रोधित हो उठे और सभी ने मिलकर बनकेइ को पत्र लिखा की यदि उस छात्र को नहीं निकाला जायेगा तो हम सब कैंप छोड़ कर चले जायेंगे।
बनकेइ ने पत्र पढ़ा और तुरंत ही सभी छात्रों को इकठ्ठा होने के लिए कहा ..”आप सभी बुद्धिमान हैं।” बनकेइ ने बोलना शुरू किया,“ आप जानते हैं की क्या सही है और क्या गलत। यदि आप कहीं और पढने जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं, पर ये बेचारा यह भी नहीं जानता की क्या सही है और क्या गलत। यदि इसे मैं नहीं पढ़ाऊंगा तो और कौन पढ़ायेगा? आप सभी चले भी जाएं तो भी मैं इसे यहाँ पढ़ाऊंगा।”
यह सुनकर चोरी करने वाला छात्र फूट -फूट कर रोने लगा। अब उसके अन्दर से चोरी करने की इच्छा हमेशा के लिए जा चुकी थी।