राधे!
तेरा यूं बात-बात पर
रूठना बताता है।
तेरी चाहत का हमसे
गहरा नाता है।
मत हो उदास मेरी वेणु का कंठ
तेरा ही तो गाना गाता है।
तू बसी है मेरे जीवन के नृत्य में।
मेरी वाणी के सत्य में।
मेरे जीवन के प्रत्येक कृत्य में।
हे राधे!
तुम्हारे पवित्र भाव ही तो करते हैं
विवश।
मैं!ठहरा भावों के वश।