पतिव्रता स्त्री बन सके तो पत्नीव्रता पुरुष को अच्छा नहीं कहा जाता ऐसा क्यों ?
?जब शादी होती है तब दूल्हे के लिए उसका ससुराल नया होता है और दुल्हन के लिए उसका ससुराल नया होता है | दूल्हा जब ससुराल जाता है तब यह ख्वाहिश रहती है की दुल्हन पतिव्रता बन उसको जो जो पसंद है वह अपने पीहर से बनवाएं, मंगवाए जो कुछ भी कर वह अपने पति को खुश करती है | पर यही बात अगर दूल्हा दुल्हन के लिए करता है तो उसे पत्नी व्रता नहीं कहा जाता ऐसा क्यों ? दुल्हन के लिए भी उसका ससुराल नया है दूल्हे के लिए भी उसका ससुराल नया है | तो फिर एक तरफी बात क्यों ? दुल्हन को अपने ससुराल में या तो जो कुछ भी मिले वह चला लेना पड़ता है या फिर उसे खुद से मांगना पड़ता है ऐसा क्यों ?...ॐD