काल की कमान मै फंसा हुआ हूं
पैसों के चक्कर में फंसा हुआ हूं
राज-ए-हस्ती इबादत है मेरी
दुनियादारी मै फंसा हुआ हूं
मरीज़-ए-इश्क़ हूं बीमार थोड़ी ना
अस्पताल में फंसा हुआ हूं
मुझे क्या गरज कौन अपना है
मुहब्बतो के दायरे में पड़ा हुआ हूं
हर मुश्किलात मै उसने मेरा साथ दिया
साया भी सोचता होगा कहां फंस गया हूं
हमारी भी इक दुनिया है तसव्वुर की
जमाना तस्वीरों में फंसा हुआ है।
~आदिल बादी