प्रेम में शिकायत कितनी भी हो, सबसे बड़ा हुनर माफ करने का होता है। या शायद प्रेम में बद्दुवाएं नही निकलती। बेवफाई पे, धोखे पे, झूठ पे, फरेब पे, कहीं भी नहीं।
एक आकस्मिक हँसी और सब माफ। कि प्रेम में प्रेम छोड़कर सब मिलावटी हो सकता है।
कि प्रेम में गले लगते हैं गले पड़ते नहीं ओर हमे कभी भी गले पड़ना कताई मंजूर नहीं था ओर हमने चुपकी को चुना ! :)