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Title: Khud Se Pyar Karna Bhi Zaroori Hai हर बार किसी और को खुश करने में खुद को खो दिया... हर रिश्ते को निभाते-निभाते अपना मन मार लिया। अब समझ आया — ख़ुद से भी रिश्ता रखना पड़ता है। जो आईने में दिखे, उससे भी प्यार करना सीखो। क्योंकि जब तक तुम खुद को नहीं अपनाओगे, दुनिया भी तुम्हें अधूरा ही समझेगी। ✍️ Pawan। सोचिए… आख़िरी बार आपने अपने लिए क्या किया था? Un Logo Ke Liye Jo Apne Aap Ko Bhool Gaye The. #SelfLove #KhudSePyar #Inspiration #MentalHealth #Zindagi #Pawan
Dil Se... Pita – Jo Kabhi Thake Nahi माँ रोती है तो सब देख लेते हैं, पर पिता थकता है, टूटता है... फिर भी मुस्कुरा देता है। वो दिन-रात मेहनत करता है, अपनी ज़रूरतें मारकर हमारे सपने पूरे करता है। ना शिकायत, ना आंसू, बस एक उम्मीद — “मेरे बच्चे मुझसे बेहतर जिएं।” वो अपना सब कुछ दे देता है… और बदले में सिर्फ एक मुस्कान चाहता है। सोचिए… क्या हमने कभी अपने पिता को "थैंक यू" बोला है बिना किसी कारण के? ✍️ Pawan, Ek Pita Ke Khamosh Jazbaat Se. #Pita #Struggle #Emotion #Respect #Father #RealHero #PawanNandeshwar
Title: Sapno Ki Udaan। उन्होंने कहा — "तेरे बस का नहीं..." लेकिन मैंने अपनी कश्ती को लहरों से लड़ना सिखा दिया। रास्ता मुश्किल था, मंज़िल दूर थी, पर दिल में यक़ीन था और आँखों में सपना। मैं गिरा, टूटा, हँसा, रोया... पर रुका नहीं — क्योंकि मुझे उड़ना था। क्योंकि सपने अगर टूट जाएं, तो जीना अधूरा लगता है। सोचिए… क्या आपने अपने सपनों को आज भी ज़िंदा रखा है? ✍️ Pawan, Un Logon Ke Liye Jo Kabhi Ruke Nahi. #Sapne #Udaan #Inspiration #Struggle #Motivation #Zindagi #PawanNandeshwar
चलो थोड़ा और जलते हैं अंधेरों में, क्योंकि सूरज बनने की ख्वाहिश… रातों से लड़कर ही पूरी होती है। 🔥🌑☀️ — Pawan #RaatSeUjalaTak #PawanKeAlfaaz #MotivationalShayari #ZiddHaiToJeetHai #AndhereSeUmeedTak
Aaj Ka Samaj Title: Gareeb Sirf Gareeb Nahi Hota उसके पास ब्रांडेड जूते नहीं थे, पर हर दिन नंगे पाँव मेहनत की राह चलता था। उसके पास स्मार्टफोन नहीं था, पर माँ-बाप की दवा और बहन की फीस समय पर देता था। वो ग़रीब था… पर उसका दिल अमीर था। दुनिया ने उसकी हालत देखी, पर किसी ने उसकी मेहनत और ईमानदारी नहीं देखी। ✍️ Pawan, Ek Gareeb Ki Kahani Se, सोचिए… क्या ग़रीबी सिर्फ पैसों की कमी है या इंसानियत की भी? #Garibi #Truth #Mehnat #Respect #Inspiration #Emotional #Society
Title: Maa – Naam Nahi, एहसास है जब कोई नहीं समझता, तब माँ समझती है। जब सब थक जाते हैं, तब माँ संभालती है। उसकी थाली सबसे आख़िर में आती है, पर दुआ सबसे पहले देती है। कभी रोते हुए देखा है माँ को? नहीं ना… क्योंकि वो हर आँसू को मुस्कान में छुपा लेती है। माँ सिर्फ जन्म नहीं देती, वो हर दिन हमें इंसान बनाती है। *सोचिए… क्या हमने कभी उसे “थैंक यू” कहा है बिना किसी वजह के? ✍️ Pawan, Ek Maa Ki Khamosh Kahani Se. #Maa #Love #Emotional #Truth #Respect #Inspiration #RealHero
वो ख्वाब ही था… अच्छा था कि टूट गया, हक़ीक़त बनता तो दिल ज़रूर रूठ जाता…! __Pawan।
Title: Kitaabein To Thi... Par Soch Kahaan Thi? स्कूल की दीवारें ऊँची थीं, लेकिन सोच अब भी छोटी निकली। लड़कियाँ क्लास में थीं, पर सवाल पूछने की इजाज़त नहीं थी। लड़के ग़लती करें तो 'बच्चे हैं', लड़कियाँ मुस्कुराएं तो 'चरित्र' पर सवाल! शिक्षा दी गई, पर आत्मसम्मान नहीं सिखाया गया। क्यों? क्योंकि यहाँ अंक तो मिलते हैं, पर इंसान बनने की इजाज़त नहीं। Pawan, Ek Soch Jo Badalni Chahiye #Shiksha #Soch #Education #Truth #SocialIssue #Inspiration
मोर मुकुट सिर, हाथ में बंसी, वृंदावन की शोभा निराली। गोपियाँ रीझीं रास रचाए, मधुर हुई हर एक रसलीला खाली। कालिया नाग पर नृत्य रचाया, यमुना जल को पावन कर डाला। गिरधर बन गोवर्धन उठाया, इंद्र का अभिमान भी चकनाचूर डाला। माखन चुराया, मुरली बजाई, बाल लीलाएँ सबको भाईं। हर लीला में प्रेम छुपा था, कृष्ण ने दुनिया को भक्ति सिखाई।
कहानी :अडिग हरिया एक बार की बात है... एक छोटे से गाँव में हरिया नाम का एक गरीब किसान रहता था। उसके पास ज़मीन कम थी, बैल नहीं थे, और कभी-कभी पेट भर अनाज भी नहीं होता था। लेकिन हरिया मेहनती था और उसका दिल बहुत साफ था। हर रोज़ सूरज निकलने से पहले वो खेतों में काम करने चला जाता, बिना यह सोचे कि फल मिलेगा या नहीं। गाँव के लोग उसका मज़ाक उड़ाते — "इतनी मेहनत करके भी क्या मिला हरिया? ना बैल, ना पैसा, ना आराम।" हरिया मुस्कुरा कर कहता, "मेहनत मेरा धर्म है, और धरती मेरी माँ। अगर मैं ईमानदारी से बोऊँगा, तो एक न एक दिन धरती मुझे ज़रूर आशीर्वाद देगी।" एक साल गाँव में सूखा पड़ गया। कई किसानों ने खेत छोड़ दिए, लेकिन हरिया हर दिन अपने सूखे खेत में हल चलाता रहा। लोग फिर हँसे, “पानी नहीं है, फिर भी खेत जोत रहा है! पगला गया है!” पर हरिया का भरोसा अडिग था। कुछ हफ़्तों बाद एक रात ज़ोर की बारिश हुई — बादल ऐसे बरसे जैसे धरती की प्यास बुझा रहे हों। अगले कुछ महीनों में हरिया की फसल लहलहा उठी — गेहूं, बाजरा, चना — सब भरपूर। जहाँ बाकी खेत सूखे और खाली थे, वहाँ हरिया के खेत में हरियाली ही हरियाली थी। गाँव के लोग हैरान रह गए। वे हरिया के पास आए और बोले, “तू सही था हरिया। तूने उम्मीद और मेहनत दोनों को कभी छोड़ा नहीं।” हरिया मुस्कुराया और बोला, “जो किसान बारिश के भरोसे खेत छोड़ दे, वो किसान नहीं। असली किसान वो है जो बिना मौसम के भी बीज बोने का साहस रखे।” कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची मेहनत और विश्वास कभी खाली नहीं जाते। कठिन समय में भी अपने कर्तव्य पर डटे रहो, फल एक दिन ज़रूर मिलेगा।
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