#KAVYOTSAV
यह मेरा घर नही है ,कहते है मुझसेइस घर पे मेरा हक नही है।
इसघर के मकीन ने बताया मुझको,इस बात से वाकिफ करवाया मुझको।
कहते ये बात बात पे अपने घर मे जो चाहे करना,यह नहीहै तेरा घर तुझको यहां नही है रहना।
बचपन से सिखाया बेटियां पराई होती है , कया बेटी की किसमत इतनी खराब होती है।
सोचा मन मे शायद सच ही कहते है ये लोग
,बेटी पराई होती ससुराल वाले है उसके लोग।
पहुची ससुराल हजारो सपने सजाकर के,नये जीवन मे नई अाशा सजोकर के।
गुजरे कुछ दिन,महीने कुछ साल,जिंदागी ने दिखाए ऐसे पल किया खुद से ये सवाल।
हर बात पर ताने अपने माइके से कया लाई थी, यह घर नही है तेरा तू तो पहले से ही पराई थी।
तोड दिया इन लफ़जो ने दिल को मेरे टुकडो मे,अब हिममत नही है मेरी कया समझाऊ खुदको मै।
न माइका ही था न ही ससुराल है मेरा ,कोई मुझको ये बतला दे अाखिर घर कहां है मेरा।