यादों के पीछे शोर बहुत है
गड्डे सारे भरे नहीं हैं,
बातों के पीछे लोग बहुत हैं,
मन सबके भरे नहीं हैं।
जिधर देखो भेद बहुत हैं
पर पुल सारे टूटे नहीं हैं,
उबड़-खाबड़ राह बहुत हैं
सबके सपने साफ नहीं हैं।
आने-जाने की राह एक है
मिलने पर पहिचान नहीं है,
सुख-दुख सबके एक समान हैं
मिलने को एक भगवान नहीं है।
**महेश रौतेला