वो इश्क जो अधूरा था

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कुछ प्रेम कहानियाँ ज़मीन पर शुरू होकर आसमान में बिखर जाती हैं। कुछ, मौत के बाद भी नहीं मिटती है । ये कहानी है एक ऐसे प्यार की, जो अधूरा रह गया… और एक ऐसी रूह की, जो अब अधूरी नहीं रहना चाहती। नई-नई शादी के बाद, जब अन्वेषा और अपूर्व अपने शहर लौटे, तो उन्हें इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि उनका प्यार किसी और की कहानी का अधूरा भाग बनने जा रहा है।

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वो इश्क जो अधूरा था - भाग 1

वो इश्क जो अधूरा था .कुछ प्रेम कहानियाँ ज़मीन पर शुरू होकर आसमान में बिखर जाती हैं।कुछ, मौत के भी नहीं मिटती है ।ये कहानी है एक ऐसे प्यार की, जो अधूरा रह गया…और एक ऐसी रूह की, जो अब अधूरी नहीं रहना चाहती।नई-नई शादी के बाद, जब अन्वेषा और अपूर्व अपने शहर लौटे, तो उन्हें इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि उनका प्यार किसी और की कहानी का अधूरा भाग बनने जा रहा है।एक पुराने पीपल के पेड़ के नीचे खिंचाई गई एक मासूम सी तस्वीर, एक सन्नाटा जो सिर्फ़ बाहर नहीं, भीतर भी उतरने ...Read More

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वो इश्क जो अधूरा था - भाग 2

“इस वक्त ऐसा मजाक मत करो यार । दिल जलता है ।” कहते हुए अपूर्व ने मुस्कुराने का प्रयास ।“मैं मजाक नहीं कर रही हूँ । नासीर मेरा पहला और आखरी प्यार है ।”अन्वेषा ने कहा तो अपूर्व की आँखों के आगे घर आते वक्त पुराने पीपल के पास खड़ी अन्वेषा का एक पल के लिए ठंडी से काँपना और फिर अचानक ही पसीने सेर तरबतर हो जाने वाली घटना तैर गई । वह अन्वेषा के मुँह से नासीर का नाम सुनकर एक अनजान भय को लेकर आशंकित हो उठा । उसने धीमे से उसके चेहरे को थपथपाया ।“अन्वेषा, ...Read More

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वो इश्क जो अधूरा था - भाग 3

रात का सन्नाटा कमरे में छाया हुआ था। अपूर्व प्रेम रस पीने के बाद नींद के आगोश में समाया था । तभी अचानक कमरे के दरवाजे पर बार-बार खटखटाने की आवाज़ गूँजी।अपूर्व की नींद टूटी , उसने इधर उधर देखा, अन्वेषा बैड पर नहीं थी उठकर दरवाज़े की ओर बढ़ा । किसी ने फिर दरवाजा खटखटाया । अपूर्व उठा और उसने दरवाजा खोल दिया। बाहर खड़ी थी उसकी छोटी बहन, केशा, जिसके चेहरे पर चिंता साफ़ झलक रही थी।“भैया, सब ठीक तो है ? आपके कमरे से थोड़ी देर पहले चीखने की आवाजें आ रही थी ? केशा ने ...Read More

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वो इश्क जो अधूरा था - भाग 4

“ये कैसा मजाक है अन्वेषा … ये सच नहीं हो सकता...” अपूर्व की आवाज़ काँप गई।लेकिन अन्वेषा ने उसके पर हाथ रखा। उसका स्पर्श गर्म था, लेकिन आंखें ठंडी।“मैंने नासिर से वादा किया था... और अब मैं यहाँ हूँ। तुम भी आ गए... मगर मुझे अब भी इंतज़ार है... मेरी मौत का हिसाब बाकी है...”एक ठंडी हवा का झोंका आया, और तभी पुराने पीपल के पास ज़मीन में कुछ चमका , एक छोटा सा लोहे का तावीज़, जो आधा मिट्टी में धँसा था।अन्वेषा की निगाहें उस पर टिक गईं। उसने काँपते हाथों से उसे उठाया और अपनी मुट्ठी में ...Read More

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वो इश्क जो अधूरा था - भाग 5

तेज़ हवा के थपेड़ों के बीच हवेली का पुराना लकड़ी का दरवाज़ा ज़ोर से भड़भड़ाया और फिर चरमराता हुआ गया। एक साया भीतर दाख़िल हुआ — तौफ़ीका बेग़म। झुलसा हुआ चेहरा, आँखों में जली हुई रातों की राख, और चाल में मातम की गूंज। उसके चेहरे पर वक्त की जली रेखाएँ, पीड़ा, क्रोध और रहस्य की मोटी परतें साफ़ नज़र आ रही थीं।उसकी आवाज़ टूटी हुई पर तल्ख़ थी, "तू अब भी उसे नहीं पहचानता, आगाज़?"अपूर्व को जैसे किसी अदृश्य झटके ने पीछे धकेल दिया। उसका शरीर कांप उठा। "मैं अपूर्व हूँ... कोई आगाज़ नहीं... ये सब क्या हो ...Read More