ओ मेरे हमसफर

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डोगरा हाउस आज सचमुच किसी राजमहल जैसा सजा था। हर कोने से फूलों की सोंधी खुशबू आ रही थी। नौकर-चाकर इधर-उधर दौड़ रहे थे, और कुमुद — घर की मालकिन — हर चीज़ पर अपनी तीखी निगाह रखे हुए थी। हल्की पीली साड़ी में, गहनों की न्यूनतम परत में भी वह किसी सेठानी से कम नहीं लग रही थी। तभी एप्रन पहने एक आदमी पीछे से आया — प्लेट में पकोड़े थे। उसने हँसते हुए एक पकोड़ा कुमुद के मुँह में डाल दिया। “भाग्यवान! ज़रा चखो तो — ठीक बने हैं न?” कुमुद ने गुस्से से उसकी ओर देखा — और धीमे-धीमे पकोड़ा चबाते हुए आँखें घुमा दीं। "आपको शर्म नहीं आती? सबके सामने ये सब करते हुए!" "अरे! तुमने ही तो कहा था — चखकर बताओ, तभी और बनाऊँगा!"

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ओ मेरे हमसफर - 1

प्रिया का रिश्ताडोगरा हाउस आज सचमुच किसी राजमहल जैसा सजा था। हर कोने से फूलों की सोंधी खुशबू आ थी। नौकर-चाकर इधर-उधर दौड़ रहे थे, और कुमुद — घर की मालकिन — हर चीज़ पर अपनी तीखी निगाह रखे हुए थी। हल्की पीली साड़ी में, गहनों की न्यूनतम परत में भी वह किसी सेठानी से कम नहीं लग रही थी।तभी एप्रन पहने एक आदमी पीछे से आया — प्लेट में पकोड़े थे। उसने हँसते हुए एक पकोड़ा कुमुद के मुँह में डाल दिया।“भाग्यवान! ज़रा चखो तो — ठीक बने हैं न?”कुमुद ने गुस्से से उसकी ओर देखा — और ...Read More

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ओ मेरे हमसफर - 2

पहली नजर का प्यार(डोगरा हाउस आज सज-धजकर तैयार था, क्योंकि प्रिया को देखने लड़के वाले आने वाले थे। माँ और पिता वैभव उत्साहित थे, पर वैभव के मन में संदेह था—क्या सिंघानिया परिवार को प्रिया के पैर की समस्या के बारे में बताया गया है? गिरीश, लड़का, सुलझा हुआ और विनम्र था, पर जब प्रिया लंगड़ाते हुए सामने आई, तो माहौल बदल गया। सिंघानिया परिवार ने रिश्ता ठुकरा दिया और अपमानित कर चले गए। माँ-बाप टूट गए, और प्रिया उन्हें सँभालती रही। बाहरी सजावट के बीच, भीतर बिखरी उम्मीदें और आँसुओं की नमी रह गई। अब आगे)कुमुद और वैभव ...Read More

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ओ मेरे हमसफर - 3

( प्रिया एक विशेष लड़की है जो लंगड़ाकर चलती है, इसलिए हर रिश्ता टूट जाता है। सिंघानिया परिवार भी रिजेक्ट कर देता है, जिससे परिवार में दुख छा जाता है। प्रिया हिम्मत नहीं हारती और मृणालिनी की मंगनी में जाती है, जहां उसकी पहली मुलाकात कुणाल राठौड़ से होती है — एक बहादुर और आकर्षक युवक, जो गुंडों से एक लड़की को बचाता है। प्रिया उसके व्यक्तित्व से प्रभावित होती है, लेकिन जल्दबाज़ी में अपनी कार समझकर कुणाल की कार में बैठ जाती है, जिससे एक हल्की-फुल्की शर्मनाक पर दिलचस्प टक्कर होती है।)प्रिया अपने बिस्तर पर लेटी थी, लेकिन ...Read More

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ओ मेरे हमसफर - 4

(प्रिया कुणाल को भूल नहीं पा रही थी। घर पर रिया दीदी के आगमन से हल्का माहौल बनता है, रिया की गंभीरता और प्रिया की शरारत के बीच टकराव चलता रहता है। एक न्यूज कार्यक्रम में प्रिया फिर से कुणाल को देखती है। अगले दिन मंदिर में एक चेन स्नैचर प्रिया पर हमला करता है, लेकिन कुणाल समय पर आकर उसकी जान बचाता है और उसे फर्स्ट एड देता है। प्रिया उसके प्रति आकर्षित होती है, लेकिन कुणाल भावहीन रहकर चला जाता है। प्रिया धीरे-धीरे उसकी ओर खिंचती जा रही है, जबकि कुणाल अभी भी एक रहस्य बना हुआ ...Read More