O Mere Humsafar - 29 in Hindi Drama by NEELOMA books and stories PDF | ओ मेरे हमसफर - 29

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ओ मेरे हमसफर - 29

(कहानी में प्रिया, जो रियल एस्टेट में असफल हो रही थी, कुणाल की चालों में उलझती है। कुणाल ट्रेनर बनकर लौटता है और कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों से उसे बाँधता है। ऑफिस में मीटिंग के दौरान अचानक घोषणा होती है कि कंपनी के नए ओनर कुणाल और प्रिया हैं। प्रिया सबके सामने कुणाल की मंगेतर होने की बात स्वीकार करती है और अपनी ताक़त और चालाकी दिखाती है। अपमानजनक सवालों और तानों के बावजूद वह खुद को कमजोर नहीं होने देती। कुणाल और प्रिया के बीच नफ़रत और मोहब्बत का टकराव गहराता है। प्रिया गुस्से और दर्द में दरवाज़ा छोड़कर निकल जाती है, जबकि कुणाल कहता है कि उसके प्यार में कोई शर्त नहीं। अब आगे)

रिश्ता हुआ तय

प्रिया शाम को अपने कमरे में गुमसुम बैठी थी। तभी अचानक तमन्ना आई और बोली, "यह सब करना जरूरी है।"

प्रिया बिना देखे हल्की सांस लेकर बोली, "क्या?"

"कुणाल से पीछा छुड़ाना मुश्किल हो गया था, इसलिए मैंने तेरी मदद ली। वैसे कुछ दिन तो वह मुझसे दूर रहेगा, मेरा यह रूप देखकर। तब तक मैं कुछ न कुछ सोच लूंगी।"

तमन्ना ने चेतावनी दी, "ठीक है, पर अगर उसे पता चला तो…"

प्रिया ने गंभीरता से कहा, "तब पता नहीं, लेकिन अब वह मेरे कंट्रोल से बाहर है।"

तभी तमन्ना की नजर बालकनी से बाहर गई और वह भय से ठिठक गई। झट से अंदर भागी और छिप गई।

प्रिया ने मुड़कर देखा—कुणाल उसके घर के बाहर खड़ा था। उसने बेल बजाई और प्रिया जैसे ही नीचे दौड़ी, कुमुद ने दरवाजा खोल दिया। कुणाल ने मुस्कुराते हुए कुमुद के पैर छू लिए। प्रिया और तमन्ना सन्न रह गईं।

कुमुद घबराकर बोली, "सुनिए जी..."

वैभव भी हॉल में आया। कुणाल ने वैभव के पैर छूते हुए कहा, "सगाई के बाद शादी होती है, पापा। मैं प्रिया से शादी करना चाहता हूँ। मां तो अभी यहां नहीं हैं, लेकिन कुछ दिनों में..."

वैभव गुस्से में बोला, "क्या शादी? मजाक कर रहे हो क्या? तुम्हारा रिश्ता तो पहले ही टूट चुका है।"

कुणाल ने इशारा किया। मिस्टर सक्सेना और कुछ लोग शगुन की थाली लेकर आए। कुमुद ने उसे हटाने की कोशिश की, "यह सब वापस ले जाओ।"

कुणाल सामने के सोफे पर बैठ गया और मुस्कुराते हुए बोला, "हमारी सगाई टूट गई थी, लेकिन आज प्रिया ने कहा कि वह मुझसे भागकर शादी करना चाहती है। जबकि मैं उसे पूरे सम्मान के साथ..."

वैभव चिल्लाया, "चुप रहो! तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी के बारे में ऐसे बोलने की?"

कुणाल हंसते हुए बोला, "आप खुद पूछ लीजिए। उसने कहा कि वह इंडिया के मोस्ट सक्सेसफुल बिजनेस मेन की—यानी मेरी पत्नी—बनना चाहती है।"

कुमुद जोर से चिल्लाई, "प्रिया! प्रिया!"

प्रिया डरते हुए बाहर आई। तमन्ना भी वहीं खड़ी थी। कुणाल ने प्रिया को देखकर मुस्कुराया। वैभव और कुमुद उसे गुस्से भरी निगाहों से घूर रहे थे। प्रिया सिर झुकाए खड़ी थी।

कुमुद ने पास जाकर पूछा, "यह सब क्या हो रहा है?"

प्रिया ने धीरे से कहा, "जैसा आप सोच रही हैं, वैसा कुछ नहीं। मैं और वह..."

वैभव ने हाथ जोड़कर कहा, "माफ करना। मैं इस रिश्ते के लिए न कहता हूं।"

प्रिया ने राहत की गहरी सांस ली।

कुणाल ने मुस्कुराते हुए कहा, "आप सोच लीजिए, वरना..."

कुमुद घूरते हुए पूछी, "वरना क्या?"

कुणाल ने ठंडी मुस्कान के साथ कहा, "प्रिया भागकर शादी करने को भी तैयार हैं।" और बाहर निकल गया।

बाहर जाते ही वैभव ने गुस्से में शगुन की थाली अपनी कार के सामने फेंक दी। "आइंदा इस घर में कभी कदम मत रखना।"

कुमुद ने उसे पकड़कर चांटा मारना चाहा, पर वैभव ने रोक दिया और पूछा, "तुम उससे शादी करना चाहती हो?"

प्रिया ने डरते हुए सिर हिला दिया।

तभी उसकी नजर सामने खड़ी रिया पर पड़ी। प्रिया दौड़कर रिया के गले लग गई और रोने लगी। वह समझ चुकी थी कि अब वह कुणाल की चुंगल से बच नहीं सकती।

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अगले दृश्य में:

तमन्ना जा चुकी थी और प्रिया गुमसुम बैठी थी। रिया उसके आगे बैठी और बोली, "तू जानती है न कि तू गलत है?"

प्रिया ने सिर हिलाते हुए कहा, "मुझे उसे भागकर शादी करने के लिए नहीं कहना चाहती थी।"

रिया हंसते हुए बोली, "मैं उस गलती की बात नहीं कर रही। मैं कुणाल को छोड़ने की बात कर रही हूं।"

प्रिया ने रिया की तरफ देखा और वापस मुड़ गई, "बार-बार एक ही बात मत दोहराइए, दीदी।"

रिया गुस्से में बोली, "क्यों न दोहराऊं? तू कुणाल से शादी करना चाहती थी तो शादी तय हो गई, नहीं करना चाहती थी तो शादी टूट गई। कुणाल क्या चाहता है, एक बार भी सोचा तूने? नहीं। कुणाल को छोड़ने के बजाय उससे सारी बातें शेयर कर सकती थी, पर नहीं—तुमने उसे बिना बताए न सिर्फ शादी तोड़ी, वह शहर भी छोड़ दिया। उसे जीवनभर का वादा देकर धोखा दिया। और दोष कुणाल को दे रही हो।"

प्रिया की आँखों में आँसू आ गए। रिया ने प्रिया के सिर पर हाथ रखा, "इतने साल बाद भी वह तेरे नाम से जिंदा है। तेरे एक बार कहने पर उसने तेरे धोखे को भूलाकर अपने आत्मसम्मान को दांव पर लगा, फिर से तेरा हाथ मांगने आया। वह तेरा साथ चाहता है बस।"

प्रिया ने रोते हुए कहा, "पर दीदी..."

रिया ने प्यार से कहा, "मैं मानती हूं कि उसके भाई आदित्य ने मेरे साथ गलत किया। पर कुणाल ने हमेशा मुझे सम्मान दिया। उसके भाई की गलती की सजा उसे मत दो। वह बहुत प्यार करता है तुझसे। तेरे धोखे और बेरूखी ने उसे बार-बार अंदर तक तोड़ दिया, फिर भी वह हर बार तेरी तरफ ही मुड़ता है। उसकी बस एक गलती है—प्यार का जो वादा तूने किया, वह उम्मीद कर रहा है कि तू उसे निभाएगी। मेरी बात मान, थाम ले उसका हाथ। उससे पहले कि तू सब कुछ खो दे।"

प्रिया के पास अब कोई शब्द नहीं थे।

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अगले दिन प्रिया ऑफिस के लिए तैयार हो रही थी कि घर की घंटी बज गई। रिया ने दरवाजा खोला तो सामने ललिता और आदित्य खड़े थे।

आदित्य को देखते ही रिया की आँखों के सामने वह भयानक मंजर आया—जब आदित्य ने अपना कर्ज़ा माफ करने के लिए उसे 3–4 लड़कों के बीच छोड़ दिया था। डर के मारे वह पीछे हटी और पीछे कुमुद खड़ी थी।

कुमुद चीख उठी, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की!"

रिया ने उसे शांत करते हुए कहा, "अंदर आइए।"

वैभव और प्रिया भी बाहर आ गए।

"आप यहाँ?" प्रिया ने हैरानी से पूछा।

ललिता अंदर आकर बैठ गई। "मैं अपने छोटे बेटे कुणाल के लिए आपकी बेटी…"

वैभव ने कड़क आवाज़ में कहा, "एक बात ध्यान से सुन लीजिए। अपनी नज़र हमारी बेटियों से दूर रखिए।"

ललिता के चेहरे पर गुस्सा उमड़ आया। "देखिए, कुणाल और प्रिया एक-दूसरे से प्यार…"

कुमुद ने शांत होकर कहा, "आगे बोलिए।"

वैभव गुस्से में चीखा, "कुमुद?"

ललिता ने फुर्ती से कहा, "मैं कुणाल और प्रिया की शादी की बात करना चाहती हूँ।"

कुमुद ने ठंडे अंदाज में कहा, "ठीक है। लेकिन इसके बदले यह उम्मीद मत रखना कि रिया की शादी तुम आदित्य से करवा लोगी। रिया की शादी तय हो चुकी है और वह किसी और की जिम्मेदारी है।"

वैभव, रिया और प्रिया ललिता के जवाब का इंतजार करने लगे।

ललिता ने आदित्य की ओर देखते हुए कहा, "ठीक है। लेकिन अब आप कुणाल और प्रिया की शादी में कोई रूकावट नहीं डालेंगे, समझे?"

यह कहते ही वह उठकर चली गई। प्रिया और रिया ने एक-दूसरे को गले लगा लिया, खुशी के आँसू छलक पड़े।

कार में बैठते ही आदित्य ने ललिता की ओर देखा। वह चुप रही, और कार धीरे-धीरे आगे बढ़ी।

आदित्य ने सवाल किया, "माँ, क्या आप सच में प्रिया को…"

ललिता ने उसे झटके से चांटा जड़ दिया। "हाँ, मैं सच में उसे बहू के रूप में अपनाउंगी। क्योंकि कुणाल के कठपुतली जैसे व्यवहार को नियंत्रित करने वाला धागा प्रिया है। अगर कुणाल की शादी प्रिया से नहीं होती, तो वह हमेशा उसके पीछे भागता रहेगा और हम उसे खो देंगे। आज अगर तुम उस जगह होते तो मुझे कुणाल के आगे कभी झुकना नहीं पड़ता। अगर उसे अपने पास रखना है, तो प्रिया ही उसका पसंदीदा खिलौना बनेगी। समझे?"

1. क्या ललिता रिया और आदित्य की शादी के बिना कुणाल और प्रिया की शादी को मंज़ूरी दे देंगी, या नया संघर्ष शुरू होगा?

2. कुणाल का जुनून और प्रिया की दीवानगी—क्या ये उन्हें एक-दूसरे का सच्चा हमसफ़र बनाएगी, या नई मुसीबतों की आंधी लेकर आएगी?

3. ललिता और आदित्य की छुपी साजिशें—क्या रिया और प्रिया इस बार बच पाएंगी, या उनके जीवन में अंधेरे बादल और घिर आएंगे?

जानने के लिए पढ़ते रहिए "ओ मेरे हमसफ़र"…