O Mere Humsafar - 15 in Hindi Love Stories by NEELOMA books and stories PDF | ओ मेरे हमसफर - 15

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ओ मेरे हमसफर - 15



(गलती से कुणाल को भेजे गए मैसेज के बाद प्रिया रेस्टोरेंट पहुँचती है और देखती है कि भानु ताना मार रही है—कुणाल ने रिया और आदित्य की शादी के लिए ही प्रिया से मजबूरी में शादी करने का निर्णय लिया है। टूटती प्रिया कुणाल से पूछती है कि क्या वह उससे प्यार करता है, लेकिन उसकी चुप्पी दिल तोड़ देती है। कुणाल उसे ज़बरदस्ती कार में बैठा लेता है और शादी के लिए जिद करता है, साथ ही चेतावनी भी देता है। घर लौटकर प्रिया उलझन में है। सुबह पार्क में कुणाल से मिलने जाती है, लेकिन वह शादी की जिद पर अड़ा है। प्रिया सोचती—शायद यह शादी रिया और आदित्य की खुशी के लिए है, और उसे उसका साथ देना चाहिए। अब आगे)

जिद और जाल

कुणाल अपने कमरे की ओर बढ़ा, तभी भानु आ गई। कुणाल ने उसका पास होते हुए साइड से निकल गया, लेकिन भानु उसके सामने खड़ी हो गई।

भानु (हँसते हुए): "देखो मेरी तरफ। उससे लाख गुना सुंदर, अमीर और..."

कुणाल गिलास में पानी डालते हुए मुस्कुराया: "सुन रहा हूँ। बोलो।"

भानु ने मुंह बनाते हुए कहा: "लंगड़ाकर चलती है वह। उसकी तुलना में मैं कई गुना बेहतर हूँ।"

कुणाल ने हंसते हुए कहा: "मुझे नहीं लगता।"

फिर कुणाल गंभीर हो गया: "तुमने कई बार साफ कहा है कि मैं तुमसे प्यार नहीं करता, पर तुम समझने को तैयार नहीं। वो मेरी चुप्पी भी समझ गई। तुम अपने स्वार्थ के लिए उसे नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही, और उसने अपनी बहन के लिए अपने आत्मसम्मान को भी दांव पर लगाया। और वैसे भी, राठौड़ खानदान में एक बार रिश्ता जुड़ जाए तो हम उसे मरकर भी निभाते हैं। प्रिया मेरी मंगेतर है और होने वाली पत्नी भी।"

भानु चुपचाप बाहर चली गई।

कुणाल ने पीछे से आवाज़ दी: "एक मिनट।"

वह भानु के पास गया: "अगर तुम्हारी वजह से मैंने प्रिया को खोया, तो तुम्हें इसकी बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। और हाँ, मेरी जिंदगी और कमरे दोनों में तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं।"

फिर कुणाल अंदर गया और दरवाजा बंद कर दिया।

...

प्रिया कमरे में चुपचाप बैठी थी। तभी रिया आई।

रिया (मुस्कुराते हुए): "क्या हुआ? लगता है मेरे देवर की याद आ रही है देवरानी जी को।"

प्रिया का ध्यान टूट गया: "दी! आपकी शादी हम से पहले होगी न?"

रिया हंसते हुए बोली: "इतनी तड़प? अगर कहो तो आपकी शादी पहले करवा देते हैं कुणाल जी से, हमारा क्या है? हम इंतजार कर लेंगे।"

प्रिया ने तुरंत कहा: "नहीं, मेरा मतलब है..."

रिया ने खिलखिलाते हुए कहा: "हाँ, सारे मतलब हमें पता हैं।"

प्रिया ने अचानक पूछा: "आप यहाँ क्या कर रही हैं? आपको इस वक्त पढ़ाई करनी चाहिए।"

रिया का चेहरा उतर गया: "मुझे लगता है किताबें पढ़कर मैं पागल हो जाऊँगी। इसलिए थोड़ा टहल लेते हैं।"

प्रिया ने रिया को खींचकर कमरे से बाहर किया: "टहलना और गप्पे दोनों हो गए। आप जाइए और पढ़ाई कीजिए। मैं आपकी असफलता का कारण नहीं बन सकती।"

रिया हैरान होकर बोली: "अरे! इतनी गंभीर बातें। लगता है हमारी बहन बदल रही है।"

...

प्रिया अपने कमरे में अकेले थी। तभी फोन बजा—कुणाल का था। उसने तुरंत फोन काटकर स्विच ऑफ कर दिया। वह अपनी शादी को किसी भी कीमत पर रोकना चाहती थी, पर कैसे, समझ नहीं पा रही थी।

तभी घर की बेल बजी। बाहर देखा तो आदित्य और कुणाल कुमुद और वैभव का पैर छू रहे थे।

आदित्य ने कहा, "आज हमारे घर में पूजा है। अगर आपको एतराज न हो तो हम रिया और प्रिया को लेने आए हैं।"

कुमुद ने पूछा, "कौन सी पूजा?"

कुणाल ने कहा, "इस पूजा में घर की होने वाली बहुएँ पूरे परिवार की लंबी उम्र की कामना करती हैं। मां ने यह व्रत रखा है।"

वैभव ने रिया को आवाज दी, "जाओ। तुम और प्रिया तैयार हो जाओ।"

कुणाल इधर-उधर देखता रहा और प्रिया के आने का इंतजार करने लगा।

प्रिया हरे रंग की और रिया नीले रंग की साड़ी में तैयार हुई। आदित्य रिया को देखते रह गए। प्रिया और कुणाल एक-दूसरे से नजरें चुराते रहे। प्रिया का साड़ी में पैर अटका और वह लड़खड़ा गई। कुणाल ने उसे संभाला, लेकिन प्रिया को उसका छूना अच्छा नहीं लगा। उसने झटके से खुद को अलग किया।

वैभव मुस्कुराते हुए बोला, "जाओ बेटा, पूजा में देरी नहीं होनी चाहिए।"

रिया के लिए कुणाल ने कार का आगे का दरवाजा खोला और रिया बैठते ही बंद कर दिया। प्रिया पीछे की ओर बढ़ी। आदित्य बोला, "तुम कुणाल की कार में आओ न।"

कुणाल अपनी कार में बैठकर प्रिया के आने का इंतजार करने लगा।

प्रिया मुस्कुराई और आगे की सीट पर बैठ गई।

कुणाल बोला, "पूजा में नहीं चलना तो कहीं और।"

प्रिया घबराते हुए बोली, "चलना है, पूजा पर चलना है।"

कुणाल ने कार आगे बढ़ाई।

...

रिया और प्रिया जैसे ही पहुँची, उन्होंने ललिता के पैर छुए।

रिया को देखकर ललिता ने उसका माथा चूम लिया, "दुनिया में सबसे खूबसूरत मेरी बहू है।"

प्रिया की तरफ ललिता ने देखा भी नहीं। प्रिया ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन कुणाल को यह बात चुभ गई।

सब महिलाएं अपने पति के साथ पूजा में शामिल हुईं। तभी प्रिया और रिया की बारी आई।

आदित्य आगे बढ़े ही थे कि पंडित ने कहा, "अभी शादी नहीं हुई है, तो जोड़े पूजा नहीं कर सकते। बस हाथ जोड़कर कामना कीजिए कि परिवार सुखी और समृद्ध रहे।"

यह बात रिया और प्रिया दोनों को सुकून दे गई। दोनों ने मिलकर हाथ जोड़कर प्रार्थना की।

कुछ देर बाद रिया की नजर सामने पड़ी। उसके रंग उड़ गए। उसने प्रिया के कंधे पर हाथ रखकर इशारा किया।

प्रिया ने देखा तो टोनी खड़ा था।

टोनी ने मुस्कुराते हुए कहा, "नमस्ते भाभी! आपसे मिलकर अच्छा लगा। इन कपड़ों में एकदम… मेरा मतलब, सुंदर लग रही हो।"

आदित्य ने आगे बढ़कर रिया की ओर इशारा किया, "यह नहीं, तुम्हारी भाभी यह है—रिया डोगरा। यह प्रिया, हमारे कुणाल की होने वाली पत्नी है।"

"और यह मेरे बिजनेस पार्टनर का बेटा—तन्मय शुक्ला," आदित्य ने आगे बताया।

तभी ललिता ने आदित्य को आवाज दी। आदित्य ने कहा, "आता हूँ," और चला गया।

टोनी ने मुस्कुराते हुए कहा, "वाह! क्या बात है। दोनों बहनों ने अमीर लड़के को फंसाया है। लेकिन सच कहूं तो उन दोनों से ज्यादा अमीर तो मैं हूँ।"

प्रिया गुस्से में बोली, "तेरी तो—" वह झुककर अपना चप्पल उतारने लगी, लेकिन रिया उसे खींचकर आगे ले गयी।

टोनी मुस्कुराया, "नमक है इसमें। देखते हैं, कुणाल की पसंद हमेशा से अलग रही है। लेकिन इस बार यह मेरी होगी।"

कुणाल इन सब बातों से अनजान, अपने कमरे में बिज़नेस मीटिंग अटेंड कर रहा था।

...

1. क्या प्रिया समझ पाएगी कि कुणाल की शादी की जिद सिर्फ़ रिया और आदित्य की खुशी के लिए है, या इसमें उसके अपने लिए भी कुछ छिपा है?

2. टोनी की चुनौती प्रिया और कुणाल के रिश्ते में कितनी हलचल लाएगी, और क्या वह अपनी जिद में कामयाब होगा?

3. कुणाल और प्रिया के बीच छिपे हुए प्यार और समझ का क्या रंग दिखेगा—क्या यह मजबूरी की शादी धीरे-धीरे सच्चे प्यार में बदल पाएगी?

आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "ओ मेरे हमसफ़र"।